बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अगरतला घटना को लेकर भारत पर कसा तंज, MEA की कड़ी प्रतिक्रिया आई सामने
punjabkesari.in Tuesday, Dec 03, 2024 - 06:07 PM (IST)
Dhaka: अगरतला स्थित बांग्लादेश के राजनयिक मिशन में तोड़फोड़ की घटना को भारत की ‘‘नाकामी'' बताते हुए, मंगलवार को यहां अंतरिम सरकार के एक प्रभावशाली सलाहकार ने शेख हसीना सरकार के अपदस्थ होने के बाद देश के साथ संबंधों का नयी दिल्ली से फिर से आंकलन करने को कहा। कानूनी मामलों के सलाहकार आसिफ नजरुल ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘‘हम समानता और परस्पर सम्मान आधारित मित्रता में यकीन रखते हैं। शेख हसीना सरकार ने चुनावों के बिना सत्ता में बने रहने के लिए भारत समर्थक नीति का पालन किया, लेकिन भारत को यह समझना चाहिए कि यह शेख हसीना का बांग्लादेश नहीं है।''
उधर, भारत ने सोमवार को अगरतला में बांग्लादेश सहायक उच्चायोग में परिसर में घुसपैठ की घटना को "बेहद खेदजनक" बताया। विदेश मंत्रालय (MEA) ने एक बयान में कहा कि किसी भी परिस्थिति में राजनयिक और वाणिज्य दूतावास की संपत्तियों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। देश मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया सैकड़ों लोगों द्वारा त्रिपुरा की राजधानी में बांग्लादेशी मिशन के इर्द-गिर्द एक विशाल रैली निकालने के कुछ घंटों बाद आई है। इस रैली में बांग्लादेश में हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के साथ-साथ पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों पर हमलों का विरोध किया गया।
नौकरियों में आरक्षण से जुड़े विवाद को लेकर अवामी लीग के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध के कारण अपदस्थ हुईं प्रधानमंत्री शेख हसीना 5 अगस्त को भारत चली गई थीं। तीन दिन बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्यभार संभाला। हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमलों के विरोध में, पूर्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में सोमवार को हजारों की संख्या में लोगों ने व्यापक प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग में कथित तौर पर घुस गए और कथित तौर पर तोड़फोड़ की।
विदेश मंत्रालय ने इस घटना को बहुत खेदजनक बताया है। नजरुल ने आरोप लगाया कि हिंदू संघर्ष समिति नाम का एक संगठन इसके लिए जिम्मेदार है। उन्होंने दावा किया कि घटना के तहत बांग्लादेश के राष्ट्रीय झंडे को जला दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘यदि इसी तरह की घटना ‘मुस्लिम संघर्ष समिति' के नाम से बांग्लादेश में होती तो भारत कितनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करता।'' कानूनी मामलों के सलाहकार ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उस टिप्पणी की भी आलोचना की, जिसमें उन्होंने बांग्लादेश में अंतरराष्ट्रीय शांति सैनिकों की तैनाती का सुझाव दिया था। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी सीमाओं के भीतर अल्पसंख्यकों और दलितों के खिलाफ उत्पीड़न की घटनाओं पर ध्यान देना चाहिए।