नजरिया: यूं ही अटल नहीं हो जाता कोई
Friday, Aug 17, 2018 - 06:43 PM (IST)
नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा ): बात उन दिनों की हैं जब पांचजन्य में कार्यरत था। अटल जी प्रधानमंत्री थे। उसी दौरान पांचजन्य का स्वर्ण जयंती समारोह आया। अटल जी पत्रिका के संस्थापक संपादक थे लिहाज़ा उनका फरमान था कि समारोह धूम से मने। मना भी। तीन दिन तक फिक्की सभागार में समारोह हुआ। अटल जी तीनों दिन के विशेष सत्रों में पहुंचे। तत्कालीन संपादक तरुण विजय ने मेरी ड्यूटी मंच पर मुख्याथितियों को एस्कॉर्ट करने के लिए लगा रखी थी। अटल जी आए तो मैं आगे बढ़ा स्वागत के लिए। मेरे सिर पर हिमाचली टोपी देखी तो पूछा हिमाचल से हो। मेरे मुंह से जी निकलते ही मानो मेरे उनके बीच नया रिश्ता बन गया। उन्होंने अपने सुरक्षा कर्मी से कहा मेरे मेरे गांव से है।
दरअसल उन्होंने हाल ही में ही मनाली में घर बनाया था। इस लिहाज़ से उनका हिमाचल वालों से यही नाता था जो हमेशा बना रहेगा। समारोह के आखिरी दिन अटल जी ने पत्रिका के स्टाफ के लिए प्रधानमंत्री आवास पर विशेष डिनर भी दिया। उस दौरान भी उन्होंने इस बात का ख़ास ख्याल रखा कि हिमाचली लड़का यानी मैं उनके आस-पास रह सकूं । फिर कई बार 7 रेसकोर्स पर मिलना हुआ। उसी साल मैं हिमाचल लौट आया। गर्मियों में जब अटल जी प्रीणी आये तो मैं नए रूप में टीवी चैनल की रिपोर्टिंग करने के लिए मौजूद था। वहां दूर से देखते ही मुस्कुराए।अरे संकुश (मेरे पूरे नाम संजीव कुमार शर्मा का छोटा पत्रकारीय रूप ) को भीतर लाओ। उसके बाद हर बार जब भी वे प्रीणी आते अपुन डेरा दाल देते थे। कई बार प्रतिस्पर्धी चैनलों के साथियों ने आपत्ति भी जताई कि इसे कैसे भीतर जाकर शूट करने देते हैं। लेकिन हमने अटल जी के उस फरमान का जमकर लुत्फ़ उठाया।
खाने के शौक़ीन अटल जी
अटल जी के बारे में उनके तमाम नजदीकी यह जरूर जानते हैं कि उन्हें खाने का पड़ा शौक़ीन था। वास्तव में अटल जी बच्चों की तरह चटोरे थे , डाक्टरों की सलाह के बावजूद पकौड़े,टिक्की, मोमो, ये सब खाने से नहीं चूकते थे। पता नहीं उन्हें किसने बताया कि मनाली में पिज्जा बड़ा गज़ब मिलता है। हिडिम्बा मंदिर रोड पर एक इटालियन महिला तब पिज्जा बनाने का काम करती थीं । अटल जी ने कहा कल पिज्जा खाने जायेंगे।उन दिनों देश में सोनिया गांधी की इटली वाली नागरिकता को लेकर मसला गरमाया हुआ था। ऐसे में समस्या यह खड़ी हो गई कि मीडिया तो मजे काटेगा कि एक तरफ सोनिया गांधी का विरोध और दूसरी तरफ इटालियन फ़ूड खाया जा रहा है। जब अटल जी को यह बताया गया तो उन्होंने कहा कि फिर कहां जाएंगे। जाना जरूर है बाहर जाकर खाने का बड़ा मूड है। कोने में अपुन खड़े थे और हमने दबी आवाज में साबा कैफे के चने- भटूरे की तारीफ कर दी। अटल जी मुड़े , मुस्कुराये और बोले चलो वही खाएंगे। आनन-फानन में कैफे में सन्देश भिजवाया गया। लोग दंग रह गए जब मनाली के मालरोड पर अचानक पीएम का काफिला रुका, अटल जी उतरे और छोले-भटूरे का दौर शुरू हो गया। अटल जी को यह देसी फ़ास्ट फ़ूड पसंद आ गया। निकलते वक्त उन्होंने अपनी जेब से 500 रुपये निकालकर बिल भी चुकता किया।वापसी पर प्रीणी में गाड़ी से उतरते हुए उन्होंने पास बुलाकर कहा. अगली बारी दो चार और फ़ूड जॉइंट ढूंढ कर रखना।
विनोदी स्वभाव के अटल जी
धूमल सरकार के चार साल पूरे होने पर शिमला में रिज मैदान पर रैली हुई। अटल जी आये। यह तब तक की प्रदेश की सबसे बड़ी रैली थी। दस घंटे शिमला में जाम लगा रहा था। उसी शाम को जलपान के दौरान अटल जी ने बड़े सीरियस होकर मुख्यमंत्री धूमल से कहा कि बाकी सब ठीक है पर ये दिन में ही सार्वजनिक रूप से पीने की आदत छोड़ दीजिये। धूमल और आस-पास खड़े लोग हतप्रभ रह गए। हिम्मत करके उनसे पूछा गया कि ऐसा तो कुछ नहीं है आपसे किसने कह दिया ? अटल जी बोले कौन कहेगा सब जानते हैं आज तो रैली में भी नारे लगे। अचानक सारा माहौल ठहाकों से गूंज उठा। दरअसल रैली में धूमल के पहुँचने पर समर्थकों ने नारा लगाया था---खाली करदो रास्ते ... पी.के धूमल आये हैं। उसी पर अटल जी ने अपने ही अंदाज़ में चुटकी ली थी।
सरकार जाने पर ऐसे लिए मजे
अटल जी सच में हार नहीं मानने वालों में से थे। सरकार जाने के बाद जब सब ग़मगीन थे तो भी अटल जी मस्त मौला बने रहे। प्रीणी के स्कूल समारोह में अटल जी ने अपने ही अंदाज़ में सरकार जाने का मसला ब्यान किया। अटल जी हर बार प्रीणी स्कूल के बच्चों को 11 हज़ार देकर जाते थे। बच्चे उन्हें मामा बुलाते थे। इसबार उन्होंने बच्चों से कहा तुम्हारे मामा की नौकरी चली गई है अकेले जलेबी से काम चलाना पड़ेगा ज्यादा पैसे नहीं हैं अब। फिर उन्होंने पांच हज़ार दिए। जब बच्चों ने इंकार किया तो बोले। .इतना कंगला भी नहीं हूं , पेंशन मिलती है ,इसलिए ही आधा अमाउंट दिया है।