''टैक्स की वजह से पेट्रोल-डीजल कीमतों में बढ़ोतरी''

Tuesday, Sep 19, 2017 - 01:04 AM (IST)

नई दिल्ली: देश में लगातार बढ़ती पेट्रोल-डीजल की कीमतों से आम लोगों की सांसें फूलने लगी है। उनका मानना है जब इन उत्पादों पर लगने वाले करों में बार-बार फेरबदल किया जा रहा हो तो बाजार आधारित कीमतों की अवधारणा का कोई मतलब नहीं है।  

एसोचैम के नोट में कहा गया, "जब कच्चे तेल की कीमत 107 डॉलर प्रति बैरल थी, तो देश में यह 71.51 रुपए लीटर बिक रही थी। अब जब यह घटकर 53.88 डॉलर प्रति बैरल आ गई है तो उपभोक्ता तो यह पूछेंगे ही कि अगर बाजार से कीमतें निर्धारित होती है तो इसे 40 रुपए लीटर बिकना चाहिए."

इसमें कहा गया है कि हालांकि कीमतों को बाजार पर छोड़ा गया है, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लिए जानेवाले उत्पाद कर और बिक्री कर या वैट में तेज बढ़ोतरी के कारण सुधार का कोई मतलब नहीं रह गया है। 

एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा, "उपभोक्ताओं की कोई गलती नहीं है, क्योंकि सुधार एकतरफा नहीं हो सकता। अगर कच्चे तेल के दाम गिरते हैं तो उसका लाभ उपभोक्ताओं को दिया जाना चाहिए।"

चेंबर ने कहा कि हालांकि यह सच है कि सरकार को अवरंचना और कल्याण योजनाओं के लिए संसाधनों की जरुरत होती है लेकिन केंद्र और राज्यों की पेट्रोल और डीजल पर जरुरत से ज्यादा निर्भरता आर्थिक विकास को प्रभावित करती है। चेंबर ने कहा, "इसका असर आर्थिक आंकड़ों पर दिख रहा है। 

 साल-दर-साल आधार पर अगस्त में मुद्रास्फीति की दर क्रमश: 24 फीसदी और 20 फीसदी थी। इससे ऐसे समय में जब उद्योग को निवेश के लिए कम महंगे वित्तपोषण की जरुरत है, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों को घटाने की संभावनाओं पर असर पड़ता है।"

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