विधानसभा चुनाव: जानिए आखिर कैसे राहुल गांधी ने हार को जीत में बदला

Thursday, Dec 13, 2018 - 06:19 PM (IST)

नई दिल्ली: एक साल पहले जब राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने थे तो उनके कंधों पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी यह थी कि 16 राज्यों में हारने के बाद अपनी पार्टी को जीत के रास्ते पर लेकर जाना। अध्यक्ष पद संभालते ही राहुल ने कड़ी मेहनत की और इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए दिखाई भी दिए। जिसके चलते छत्तीसगढ़ और राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। आईए जानते हैं कैसे राहुल गांधी ने इस लड़ाई को जीत में तब्दील किया। 



बड़े नेताओं में पैदा हुए मनमुटाव किया दूर
राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद सबसे पहले मध्य प्रदेश में कमलनाथ और सिंधिया के बीच पैदा हुए मनमुटाव को दूर करने की कोशिश की। उन्होंने कमलनाथ को पार्टी की कमान सौंपी तो सिंधिया को पार्टी प्रचार समिति की कमान दे डाली। इससे चुनाव तक दोनों बड़े नेताओं ने समान रूप से मेहनत की। ठीक इसी तरह, राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के समर्थकों में विवाद न हो, इसलिए राहुल गांधी के निर्देश पर दोनों चुनाव में उतरे। इससे चुनाव तक राजस्थान में कांग्रेस के कार्यकर्ता ने एकजुट होकर काम किया।



नई रणनीति बनाना
पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद राहुल ने मोदी की तरह अपनी बात को अच्छी तरह से जनता के बीच रखना सीखा। इसका असर उनके भाषणों में साफ नजर आया। गोवा और मेघालय में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी सरकार न बना पाने की कमी को उन्होंने कर्नाटक में पूरी तरह भुनाया। यहां उन्होंने नतीजे घोषित होते ही जेडीएस से हाथ मिलाकर राहुल ने किस तरह भाजपा की उम्मीदों पर पानी फेरा था।


 

राहुल गांधी की जमीनी मेहनत
राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में जीत हासिल करने के लिए रात दिन एक कर दिए। उन्होंने भाजपा इन राज्यों में भाजपा से ज्यादा मेहनत की। मध्य प्रदेश में राहुल ने 27 रैलियां की जिनका प्रभाव 99 सीटों पर था। कांग्रेस को 53 सीटों पर जीत मिली। राजस्थान में राहुल ने 22 रैलियां की जिनका प्रभाव 100 सीटों पर रहा। यहां भी 48 सीटें कांग्रेस ने जीतीं। इस जीत के साथ ही  साबित हो गया है कि जनता के बीच अब उनका जादू चलने लगा है। 



राहुल ने बनाई अपनी सॉफ्ट हिंदुत्व की इमेज 
मोदी के हिंदुत्व के सामने राहुल ने अपनी सॉफ्ट हिंदुत्व की इमेज रखते हुए हर चुनाव व यात्रा में मंदिर व धार्मिक स्थलों का दौरा करते दिखाई दे। राहुल की कैलाश यात्रा एक ऐसा मौका था, जिसका जवाब बीजेपी के अभी तक नहीं मिला। राहुल अपनी इमेज लगातार बदलने में लगे रहे। लोगों से ज्यादा से ज्यादा कनेक्ट बढ़ाना उन्होंने अपना मूलमंत्र बनाया, जिसका फायदा भी दिखा।

Anil dev

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