राजस्थान चुनाव: कांग्रेस को लगा सट्टा बाजार का ‘फटका’

Friday, Nov 23, 2018 - 10:14 AM (IST)

जयपुर (दिनेश जोशी): एक दिन पहले तक राजस्थान में कांग्रेस की जीत बताने वाले सटोरियों का गणित गुरुवार को अचानक कांग्रेस के उलट बीजेपी के पक्ष में बदल गया। बता दें कि राष्ट्रीय स्तर पर सट्टा बाजार में बुधवार तक छत्तीसगढ़ को छोड़ मध्य प्रदेश व राजस्थान में कांग्रेस के पक्ष में खाईवाली चल रही थी। देश में सबसे बड़े नेटवर्क वाले फलोदी सट्टा बाजार की मानें तो बुधवार तक के बदलाव के संकेत मिले और गुरुवार सुबह तक तो तस्वीर पूरी तरह बदल गई। राजस्थान में फलोदी, सीकर और नोखा प्रमुख सट्टा बाजार हैं। फलोदी के एक बुकी ने बताया कि एक दिन पहले तक कांग्रेस के लिए स्पष्ट जीत की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन हमारे राष्ट्रीय स्तर पर फैले नेटवर्क ने बुधवार तड़के अचानक बदलाव के संकेत दिए। यहां यह जानना जरूरी है कि सट्टा बाजार में कम कीमत जीत का संकेत देती है, जबकि उच्च कीमत हार का।

उलट गया कांग्रेस का अनुमान
प्रदेश में बुधवार रात 2.55 तक फलोदी का सट्टा बाजार अपने आकलन में कांग्रेस को सबसे बड़ी पार्टी बता रहा था। कांग्रेस को 130-140 सीटें मिलने का अनुमान जताया जा रहा था, जबकि बीजेपी को 40-55 सीटों में सिमटा दिया गया था। वहीं, दोनों पार्टियों द्वारा सभी 200 सीटों पर टिकटों का वितरण करने के बाद बुधवार को सट्टा बाजार में हलचल होने लगी थी, शाम होते-होते हड़कंप मचने लगी। गुरुवार सुबह तक तो पूरा नजारा बदला बदला दिख रहा था। जो सट्टा बाजार एक दिन पहले कांग्रेस की जीत पर बड़ा दांव खेलने की तैयारी कर रहा था, वह अब भाजपा पर दांव लगाता दिख रहा है। सट्टा बाजार बीजेपी को 125-135 सीटें दे रहा है, जबकि कांग्रेस को उसने 65-75 सीटों तक समेट दिया है। बुकीज का कहना है कि ज्यों-ज्यों वोटिंग की तारीख नजदीक आती जाएगी, बीजेपी इन सीटों से पार निकल जाए तो कोई आश्चर्य नहीं।

एमपी में झूल रही है बीजेपी
सटोरिए मध्य प्रदेश में कांग्रेस के मुकाबले सत्तारूढ़ बीजेपी को झूलते हुए देख रहे हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में भाजपा की स्पष्ट जीत के दावे किए जा रहे हैं। उधर, तेलंगाना में सटोरिए कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन पर दांव लगा रहे हैं। राजस्थान और मध्य प्रदेश के सट्टेबाजों का कहना है कि वे प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र और पूरे राज्य में चुनाव के लिए दांव स्वीकार करते हैं। स्थानीय नेताओं की परफॉर्मेंस के साथ ही बड़े नेताओं के राजनीतिक भाषण व सभाओं में जुटने वाली भीड़ के आधार पर दरें प्रत्येक दिन अलग-अलग होती हैं।


 

Anil dev

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