असम चुनावों में लोगों ने कांग्रेस के पक्ष में किया अधिक मतदान

Tuesday, May 24, 2016 - 03:54 PM (IST)

नई दिल्ली: असम में हुए विधानसभा चुनावों में एनडीए गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया है। भाजपा को जहां खुद 60 सीटें मिलीं, वहीं उसके सहयोगी असम गण परिषद को 14 और एक अन्य सहयोगी बोडोलैंड पीपल फ्रंट को 12 सीटें मिली हैं।
 
परिणाम को देख साफ कहेंगे कि विधानसभा चुनावों में असम की जनता ने भाजपा के पक्ष में एकतरफा मतदान किया है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। यह बात हम नहीं, खुद चुनाव आयोग के आंकड़े कह रहे हैं। आं$कड़ों के मुताबिक असम की जनता ने भाजपा नहीं कांग्रेस के पक्ष में ज्यादा मतदान किया है। यही नहीं एनडीए से इतर अन्य दलों ने भी भाजपा गठबंधन के घटक दलों से ज्यादा वोट पाए हैं। लेकिन गठबंधन के गणित ने भाजपा को सत्ता तक पहुंचाने की राह आसान कर दी। इससे पहले कि आप कन्फ्यूज हों, आइए एक बार चुनाव आयोग के आंकडों पर डालते हैं एक नजर।
 
कांग्रेस को मिले ज्यादा वोट
 
असम में मतगणना के बाद चुनाव आयोग ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उनमें कई कई चौंकाने वाली बातें सामने आती हैं। राज्य में अगर पार्टी वाइज वोटों की बात करें तो भाजपा के मुकाबले अब भी कांग्रेस अव्वल रही है। भाजपा को जहां कुल 4992185 वोटों के साथ 29.5 फीसदी वोट मिले हैं वहीं कांग्रेस को उससे कहीं ज्यादा कुल 5238655 वोट मिले हैं।
 
इसके अनुसार कांग्रेस ने भाजपा से डेढ़ फीसदी ज्यादा 31 फीसदी वोट हासिल किए हैं, लेकिन सीटों की बात करें तो उसमें बड़ा चौंकाने वाला अंतर नजर आता है। भाजपा जहां 29.5 फीसदी वोट पाकर 60 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी है वहीं कांग्रेस उससे डेढ़ फीसदी वोट ज्यादा लेने के बाद भी मात्र 24 सीटों पर सिमट गई है।
 
सीटों का यह अंकगणित भाजपा के मामले में ही नहीं दिखता उसके गठबंधन सहयोगियों के मामले में भी नजर आता है। मसलन, 14 सीट पाकर असम गण परिषद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी है जबकि उसे वोट मिले हैं मात्र 8.1 फीसदी, जबकि मौलाना बदरुद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ उससे कहीं ज्यादा 13 फीसदी वोट पाकर भी मात्र 13 सीटें ही पा सकी है। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाला यह है कि एआईयूडीएफ से मात्र एक सीट कम पाने वाले भाजपा के दूसरे घटक दल बोडोलैंड पीपल फ्रंट को वोट मात्र 3.9 फीसदी ही मिली हैं, लेकिन सीटें मिली हैं 12।
 
ऐसे में भाजपा बेशक असम में सत्ता विरोधी लहर की बात करे लेकिन चुनाव आयोग के आंकडों में इसका कोई खास प्रभाव नजर नहीं आता। पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को कुल 39 फीसदी वोट मिले थे जो इस बार मात्र 8 फीसदी घट गए। ऐसे में इस बात का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर तरुण गोगोई बदरुद्दीन अजमल की बात मानकर उनके एआईयूडीएफ से गठबंधन कर लेते तो भाजपा गठबंधन को वहां किन हालातों का सामना करनाA पड़ जाता।
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