रक्षामंत्री के तौर पर जेटली ने कई प्रमुख सैन्य सुधारों को गति दी

Saturday, Aug 24, 2019 - 06:45 PM (IST)

नई दिल्ली: रक्षामंत्री के तौर पर दो बार अपने छोटे से कार्यकाल में अरुण जेटली ने सैन्य बलों में दीर्घकालिक लंबित सुधारों की दिशा में राह दिखाई और रक्षा निर्माण में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अहम नीतिगत पहल लेकर आए। नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में जेटली ने 26 मई से नौ नवंबर 2014 तक रक्षामंत्री का पदभार संभाला था, इसके बाद मनोहर पर्रिकर को गोवा से बुलाकर रक्षामंत्री का पदभार सौंपा गया था। 


गोवा का मुख्यमंत्री बनने के लिए पर्रिकर ने जब केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया तब तत्कालीन वित्तमंत्री जेटली को 14 मार्च 2017 में एक बार फिर रक्षा मंत्रालय का पदभार सौंपा गया। सात सितंबर 2017 को निर्मला सीतारमण ने उनकी जगह रक्षामंत्री का पदभार संभाला। भाजपा के कद्दावर नेता का शनिवार को एम्स में निधन हो गया। पिछले कई महीने से वह स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं से जूझ रहे थे।


रक्षामंत्री के तौर पर जेटली के कार्यकाल में बड़े सुधार किए गए और रक्षा खरीद की प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया। जेटली ने जो सर्वाधिक अहम पहल की, वह भारत को रक्षा निर्माण के क्षेत्र में एक केंद्र बनाना था। उन्होंने लंबे समय से लंबित रहे साझेदारी मॉडल को मई 2017 में शुरू किया। उनकी बनाई नीति के तहत चुनिंदा निजी भारतीय कंपनियों को विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर भारत में पनडुब्बी, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और बख्तरबंद वाहन/मुख्य युद्धक टैंक जैसे सैन्य साजो-सामान के निर्माण की इजाजत मिली। 


इस नीति ने एक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के माध्यम से भारत की रक्षा क्षेत्र की बड़ी कंपनियों के साथ दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी की स्थापना की परिकल्पना की जिसमें भारतीय कंपनियां विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर घरेलू निर्माण ढांचा की स्थापना करेंगी। इस नीति के तहत पहली परियोजना को पिछले साल अंतिम रूप दिया गया जिसके तहत भारतीय नौसेना 21,000 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से 111 हेलीकॉप्टर खरीदेगी। 


रक्षामंत्री के तौर पर जेटली ने अगस्त 2017 में भारतीय सेना के लिए 65 सुधारात्मक उपायों को मंजूरी दी जिनमें करीब 57,000 अधिकारियों और अन्य रैंक के कर्मियों का पुनर्नियोजन शामिल है। सुधारात्मक उपाय शुरू किए जाने को लेकर जब जेटली से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा,‘आजादी के बाद संभवत: यह पहली बार होगा जब सेना में इतने बड़े स्तर पर और दूरगामी सुधार प्रक्रिया की शुरुआत की जा रही है।'

shukdev

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