पूर्व आर्थिक सलाहकार ने नोटबंदी पर तोड़ी चुप्पी, कहा- यह खतरनाक कदम

Thursday, Nov 29, 2018 - 04:45 PM (IST)

नेशनल डेस्क: मोदी सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने नोटबंदी पर सवाल उठाया। उन्होंने नोटबंदी को क्रूर और मौद्रिक झटका करार देते हुये कहा कि इससे अनौपचारिक क्षेत्र पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा। सुब्रमण्यम के मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद पर रहते हुए ही नवंबर 2016 में सरकार ने नोटबंदी का महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। 


सुब्रमण्यम ने इसी साल जून में निजी कारणों से पद छोड दिया था। उन्होंने अपनी इस पुस्तक ‘ऑफ काउंसेल : द चैलेंजेज ऑफ द मोदी जेटली इकोनॉमी’ में मोदी सरकार के इस फैसले के बारे में लिखा कि नोटबंदी एक बड़ा, क्रूर, मौद्रिक झटका था- एक ही झटके में 86 प्रतिशत मुद्रा प्रचलन से बाहर हो गयी। स्पष्ट रूप से इससे वास्तविक जीडीपी विकास प्रभावित हुआ। नोटबंदी से पहले की सात तिमाहियों में औसत विकास दर आठ प्रतिशत थी जो नोटबंदी के बाद की सात तिमाहियों में घटकर 6.8 प्रतिशत रह गयी।


पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने पुस्तक में लिखा कि आम तौर पर प्रचलन में मौजूद मुद्रा और जीडीपी का ग्राफ समानांतर चलता है। लेकिन नोटबंदी के बाद जहां मुद्रा का ग्राफ बिल्कुल नीचे आ गया, वहीं जीडीपी के ग्राफ पर काफी कम असर पड़ा। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जीडीपी के आंकड़े औपचारिक अर्थव्यवस्था के आधार पर तैयार किये जाते हैं। आम परिस्थितियों में यह तरीका सही हो सकता है, लेकिन नोटबंदी जैसे बड़े झटके के बाद जब मुख्य रूप से अनौपचारिक क्षेत्र ही प्रभावित हुआ हो इस तरीके से विकास दर के सही आंकड़े नहीं मिलते। 


गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 की रात आठ बजे राष्ट्र के नाम विशेष टेलीविजन संबोधन में अचानक 500 रुपये और एक हजार रुपये के उस समय प्रचलित 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को आम इस्तेमाल के लिए प्रतिबंधित करने की घोषणा की थी। उस दिन रात 12 बजे से यह फैसला लागू हो गया था। 

vasudha

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