अरुणिमा ने फिर रचा इतिहास, एक टांग के सहारे अंटार्कटिका की टॉप चोटी पर लहराया तिरंगा

Friday, Jan 04, 2019 - 01:20 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: अपनी कमजोरी को सबसे बड़ी ताकत बनाकर इतिहास कायम करने वाली विश्व रिकॉर्डधारी पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा ने अपनी ‘आखिरी मंजिल‘ पर फतह कर लिया है। अरुणिमा ने दुनिया की सात प्रमुख चोटियों में से आखिरी बची 'माउंट विन्सन' पर भी भारत का तिरंगा लहरा दिया है। 
 

सिन्हा ने वीरवार को 12 बजकर 27 मिनट पर अंटार्कटिका के सबसे ऊंचे शिखर माउंट विंसन का माथा चूमा। वह ऐसा अविश्वसनीय कारनामा करने वाली दुनिया की पहली महिला दिव्यांग पर्वतारोही बन गई हैं। अरुणिमा ने इस उपलब्धि को हासिल करने के बाद लिखा कि इंतजार खत्म हुआ। हमें आपको बताते हुए खुशी हो रही है कि विश्व रेकॉर्ड बन चुका है। 


अरुणिमा एक कृत्रिम पैर के सहारे एवरेस्ट फतह करने के साथ-साथ किलिमंजारो (अफ्रीका), एल्ब्रुस (रूस), कास्टेन पिरामिड (इंडोनेशिया), किजाश्को (आस्ट्रेलिया) और माउंट अकंकागुआ (दक्षिण अमेरिका) पर्वत चोटियों पर फतह हासिल कर चुकी है। दक्षिणी ध्रुव में अंटार्कटिका स्थित माउंट विन्सन उनकी आखिरी मंजिल थी जिसमें भी वह कामयाब रही।  


वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र पीएम मोदी ने भी अरुणिमा को बधाई देते हुए ट्वीट किया कि उन्हे सफलता का नया शिखर छूने के लिए बधाई। वह भारत की गौरव हैं, जिन्होंने अपने कठिन परिश्रम और दृढ़ता की बदौलत यह मुकाम हासिल किया है। भविष्य में उनके प्रयासों के लिए मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। बता दें कि सिन्हा उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर की निवासी हैं। अप्रैल 2011 में अपराधियों ने बरेली के निकट पदमवाती एक्सप्रेस से अरुणिमा को बाहर फेंक दिया था, जिसके कारण वह अपना एक पैर गंवा बैठी थीं। 


एक पैर गंवाने के बावजूद अरूणिमा ने हार नहीं मानी। उन्होंने एक कृत्रिम पैर लगवाकर एवरेस्ट फतह करने का इरादा किया था और 21 मई 2013 को मंजिल पाकर दुनिया को चौंका दिया था। वह साल 2012 से केंद्रीय अद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं। अरुणिमा की तमाम उपलब्धियों पर सरकार ने उन्हें 'पद्मश्री' अवार्ड से नवाजा था। हाल में उन्हें ब्रिटेन की एक यूनीवर्सिटी ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया था।

vasudha

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