अरुणा ने 42 साल तक किया इच्‍छामृत्‍यु का इंतजार, दुनियाभर में ये है कानून

Friday, Mar 09, 2018 - 02:22 PM (IST)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज पैसिव यूथेनेशिया' और 'लिविंग विल' पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे कानूनी मान्यता दे दी है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कुछ दिशा-निर्देशों के साथ इसकी इजाजत दी जा सकती है। ‘लिविंग विल’ एक लिखित दस्तावेज होता है जिसमें कोई मरीज पहले से यह निर्देश देता है कि मरणासन्न स्थिति में पहुंचने या रजामंदी नहीं दे पाने की स्थिति में पहुंचने पर उसे किस तरह का इलाज दिया जाए। वहीं कोर्ट के इस फैसले के बाद एक बार फिर से नर्स अरुणा रामचंद्र शानबाग का नाम सुर्खियों में आ गया है।

42 साल बाद अरुणा को मिली थी इच्‍छामृत्‍यु
अरुणा रामचंद्रन शानबाग मुंबई के एक अस्‍पताल में नर्स थी। 1973 में अस्पताल के ही एक कर्मचारी ने उसके साथ यौन शोषण किया था जिसके बाद वह कोमा में चली गई थी। वह तब 23 साल की थी। आरोपी ने पहले कुत्ते को डालने वाली चेन से करुणा के गले को कस दिया और फिर उसके साथ यौन शोषण किया। चेन के कसाब से अरुणा के दिमाग तक खून पहुंचाने वाली नसें फट गईं। उसकी आंखों की रोशनी चली गई, शरीर को लकवा मार गया, अरुणा बोल भी नहीं पा रही थी। उसे उसी अस्पताल में रखा गया और उसका इलाज चला लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। धीरे-धीरे उसके रिश्तेदारों ने भी उससे मुंह मोड़ लिया। उसने खाना-पीना भी छोड़ दिया था। उसकी सहेली ने कोर्ट में इच्छामृत्यु की मांग की लेकिन कोर्ट ने इसकी मंजूरी नहीं दी। इसके बाद 2015 में अरुणा की मौत हो गई थी। उन्हें यूथेनेशिया की इजाजत नहीं मिली थी।

एक नजर दुनियाभर के कानूनों परः

  • ऑस्ट्रेलिया में लिविंग विल को मान्यता है।
     
  • बेल्जियम, कनाडा, नीदरलैंड और स्वीडन में तरह-तरह के यूथेनेशिया की इजाजत है। जबकि अमेरिका में इच्‍छामत्‍यु गैर कानूनी है। हालांकि यहां ओरेगन, वॉशिंगटन और मोंटाना राज्यों में डॉक्टर की सलाह और उनकी मदद से मरने की इजाजत है।
     
  • स्विट्ज़रलैंड में खुद जहरीली सुई लगाकर आत्महत्या करने की इजाजत है लेकिन इच्‍छामत्‍यु गैर-कानूनी है।
     
  • ब्रिटेन, स्पेन, फ्रांस और इटली जैसे यूरोपीय देशों सहित दुनिया के ज्‍यादातर देशों में इच्‍छामत्‍यु गैर-कानूनी है।
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