मोदी सरकार की गले की हड्डी बन गई GST!

Monday, Oct 23, 2017 - 11:54 AM (IST)

नेशनल डेस्क: केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेतली अमरीका में जीएसटी को लेकर सफलता के कितने भी दावे ठोक लें पर राजस्व सचिव हसमुख अधिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात में दिए भाषण से लगता है कि जीएसटी को लेकर मोदी सरकार की सांस फूली हुई है। 

खरीदारों ने दिवाली खरीद से हाथ खींच लिए
राजस्व सचिव ने कहा कि अब लघु और मझोले उद्योगों के बोझ को कम करने के लिए कर ढांचे में बड़े बदलाव की जरूरत है। अधिया ने कहा कि इस बदलाव के लिए फिटमेंट कमेटी को गणना करने की जरूरत होगी। यह समिति विचार करेगी कि किस वस्तु की कर दर को तर्कसंगत बनाने की जरूरत है। हम यह काम जल्द से जल्द करना चाहते हैं। राजस्व सचिव का यह वक्तव्य दिवाली के तुरंत बाद आया है। इस दिवाली पर पिछले साल से काफी कम बिक्री हुई है। करों की अधिक दरों से सामान के महंगा होने पर खरीदारों ने दिवाली खरीद से हाथ खींच लिए। 

इस साल दिवाली पर हुई 40 प्रतिशत कम बिक्री
अखिल भारतीय व्यापार महासंगठन के अनुसार पिछले साल के मुकाबले इस साल दिवाली पर 40 प्रतिशत कम बिक्री हुई है। व्यापारियों का कहना है कि बाजार में घोर मंदी का माहौल रहा। विगत 10 वर्षों में इस बार दिवाली सबसे फीकी रही। इस व्यापारी महासंगठन के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा है कि नोटबंदी और जीएसटी के लागू होने के बाद से बााजर में अनिश्चितता का माहौल है और नकदी की भारी कमी है। 28 प्रतिशत जीेसटी स्लैब का खासा असर खरीदारी पर पड़ा है। देश में खुदरा व्यापार सालाना 40 लाख करोड़ रुपए का है, जिसमें असंगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी 90 फीसदी से ऊपर है और देश की कृषि को छोड़कर 52 फीसदी रोजगार मुहैया करती है। 

जीएसी को बताया गया आजाद भारत का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार
पिछले एक साल में सरकारी फैसलों से इस क्षेत्र की कमर टूट गई है, जिसका एहसास अब प्रधानमंत्री मोदी को गुजरात के दौरों के समय हो रहा है। जीएसी को आजाद भारत का सबसे बड़ा आॢथक सुधार बताया गया। इसका पूरा श्रेय लेने के लिए मोदी सरकार ने मध्य रात्रि में संसद का विशेष सत्र बुलाया था, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने इसका श्रेय लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन अब प्रधानमंत्री यह कह रहे हैं कि यह निर्णय उनके अकेले का नहीं था, कांग्रेस भी बराबर की हिस्सेदार थी। जीएसटी में जिस तरह आंख मूंद कर वस्तु एवं सेवाओं के ऊपर कर लगाया गया है, उससे अब खुद सरकार हिली हुई है। एसी रेज पर 28 फीसदी से कम कर 18 फीसदी करने का संकेत सरकार खुद दे चुकी है। 

मोदी सरकार ने फेर दिया संभावित फायदों पर पानी 
28 फीसदी के स्लैब में आने वाली वस्तुओं की फेहरिस्त को भी कम करने का संकेत राजस्व सचवि हसमुख अधिया कुछ दिन पहले हीं स्वयं दे चुके हैं। यह सरकारी धींगा मस्ती का नतीजा है कि महज चार महीनों में 100 से अधिक वस्तुओं पर जीएसटी की दरों में फेरबदल सरकार को करना पड़ा है। बिना तैयारी और परीक्षण के मोदी सरकार ने इस ऐतिहसिक कर सुधार की संभावित फायदों पर पानी फेर दिया है। 

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