मेरे खिलाफ 1997 के वाद पर तेजी से कर रहे हैं काम: सत्यार्थी

Friday, Oct 02, 2015 - 07:32 PM (IST)

नई दिल्ली: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने दिल्ली की एक अदालत में दावा किया है कि एक चैरिटेबल ट्रस्ट के न्यासियों ने उन्हें प्रतिष्ठि पुरस्कार मिलने के बाद धन के कथित दुरूपयोग से संबंधित उनके खिलाफ 1997 के एक वाद पर अचानक और तेजी से काम करना शुरू कर दिया।    

बाल अधिकार कार्यकर्ता सत्यार्थी को 2014 में नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्होंने कहा कि उनके एवं उनकी पत्नी सुमेधा के खिलाफ आरोप दुर्भावनापूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी मात्रा में धन के दुरूपयोग के आरोप वाला दीवानी वाद खारिज कर मुकदमे का खर्च वसूल किया जाना चाहिए। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश कामिनी लाउ के समक्ष पेश अर्जी में कहा गया, ‘‘आवदेनकर्ता बचाव पक्ष सत्यार्थी एवं सुमेधा कहना चाहता है कि याचिकाकर्ता द्वारा दुर्भावनावश वाद दायर किया है तथा यह कानून की प्रक्रिया का दुरूपयोग है। 
 
याचिकाकर्ता ने वर्ष 1997 में मौजूदा वाद दाखिल किया था और बचाव पक्ष संख्या एक को नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद इस वाद पर अचानक और तेजी से काम करना शुरू कर दिया।’’ यह अर्जी उस लंबित वाद पर दी गयी है जो मुक्ति प्रतिष्ठान ट्रस्ट एवं उसके चार न्यासियों ने इस दंपति के विरूद्ध दायर किया है। इस वाद में आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ताओं की जानकारी में यह बात आयी कि न्यास से संबंधित धन की बड़ी राशि का दुरूपयोग खातों के रखरखाव में गड़बड़ी के जरिये किया गया। 
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