सरकार ''OROP'' के तहत सालाना पेंशन समीक्षा पर विचार नहीं कर सकती: पर्रिकर

punjabkesari.in Tuesday, Sep 08, 2015 - 11:34 PM (IST)

पणजी: रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज कहा कि वन रैंक वन पेंशन योजना के तहत पेंशन की वार्षिक समीक्षा की पूर्व सैनिकों की मांग पर विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि आेआरआेपी की परिभाषा पेंशन के अद्यतन के लिए कोई समयसीमा नहीं तय करती। पर्रिकर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘आेआरआेपी की परिभाषा पेंशन के अद्यतन के लिए कोई समय तय नहीं करती। 
 
आेआरआेपी के वार्षिक अद्यतन की उनकी पूर्व सैनिकों की मांग पर विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि आेआरआेपी की परिभाषा में यह लिखा है कि पेशंन अद्यतन की जाएगी लेकिन कोई समय नहीं बताया गया है।’’  उन्होंने कहा, ‘‘ इस्तेमाल किया गया यह शब्द ऑटोमैटिक है। लेकिन अवधि क्या होगी, वह स्पष्ट नहीं किया गया है। किसी स्पष्ट अवधि का उल्लेख नहीं है।’’  
 
सरकार की व्याख्या को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘’हमने आेआरआेपी के तहत पेंशन की समीक्षा के लिए इस अवधि को पांच साल के रूप में लिया है जबकि सामान्यत दस साल की अवधि किसी वेतन समीक्षा के लिए होती है।’’  पेंशन की समीक्षा की समयसीमा सरकार और पूर्व सैनिकों के बीच गतिरोध का विषय बना हुआ है। सरकार ने कहा है कि वह हर पांच साल पर पेंशन की समीक्षा करेगी जबकि पूर्व सैनिक हर साल या कम से कम दो साल पर उसकी समीक्षा चाहते हैं। 
 
पर्रिकर ने कहा कि अन्य सिविल सेवाओं के विपरीत सेना में स्वैच्छिक सेवानिवृति योजना की अवधारणा नहीं है। केंद्र सरकार को आेआरआेपी लागू करने पर सलाना 8000 करोड़ रूपए का खर्च आएगा। रक्षा मंत्री ने कहा कि आेआरआेपी अद्र्धसैनिकों सेवाओं के लिए नहीं होगा। उन्होंने कहा ‘‘यह आेआरआेपी एक मिलिट्री पेंशन है। सेना में सेवानिवृत्ति की शर्तें पैरामिलिट्री से अलग होती हैं।’’  एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत बांग्लादेश सीमा पर कुछ जगहों को छोड़ कर तारबंदी का काम लगभग पूरा हो गया है। 
 

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