कश्मीर का प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान, हालत ऐसी की दया आए

Tuesday, Sep 01, 2015 - 09:41 PM (IST)

श्रीनगर  :  कश्मीर घाटी के प्रमुख अस्पताल शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एस.के.आई.एम.एस.) की हालत दिन-प्रतिदिन खस्ता होती जा रही है। यह वह अस्पताल है जहां रात समय चहल-पहल होती थी और दूरवर्ती क्षेत्रों से लोग उपचार हेतु आते थे, लेकिन आज यह अस्पताल अपने ही इलाज को तरस रहा है। इसका मुख्य कारण डाक्टरों व स्टाफ की कमी, दवाइयों की कमी व इमारत की हो रही खस्ता हालत, जगह.जगह लगे कूड़े के ढेर हैं, लेकिन प्रशासन इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

इन कमियों को मुख्य रखते हुए आज जब अस्पताल का दौरा किया गया तो देखा कि जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे थे, शौचालयों से दुर्गंध आ रही थी, आप्रेशन थिएटर तथा रोगियों के वार्डों में बिस्तरों की दयनीय स्थिति थी। अस्पताल में दाखिल मरीजों ने बताया कि कुछ दिन पूर्व बरसात से छतों से पानी टपक रहा था।

सूत्रों ने कहा कि अस्पताल में गत लम्बे समय से डाक्टरों तथा चतुर्थ श्रेणी स्टाफ की कमी चल रही है। इसके अतिरिक्त सफाई का कोई अच्छा प्रबंध नहीं है। रोगी आशा से आते हैं और माहिर डाक्टर न मिलने के कारण निराश होकर वापस चले जाते हैं।

अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिचरों ने कहा कि अस्पतालों में माहिर डाक्टरों, चतुर्थ श्रेणी स्टाफ तथा सफाई का अच्छा प्रबंध किया जाए, ताकि दूरवर्ती क्षेत्रों से आने वाले रोगियों को परेशानी का सामना न करना पड़े।

उन्होने आरोप लगाया कि वार्ड 7 ए में स्टाफ मौजूद नही है जिससे मरीजों को कठिनाइयों का सामना करना पड रहा है। परिचरों के एक प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि स्टाफ की तलाश में वह अक्सर मदद की मांग करते है। वार्ड 7 ए में मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ कभी ड्यूटी पर नही होते है। कई बार जब वह वार्ड में होते है तो वह एलेक्ट्रिक उपकरणों पर गैम्स खेलने में व्यस्त रहते है। वह मरीजों की देखभाल की कोई परवाह नही करते है।

उन्होने कहा कि दर्द या किसी अन्य स्वास्थ्य मुद्दे में उपचार या तत्काल देखरेख की ओर वह मरीज की ओर ध्यान नही देते है। उन्होने अस्पताल के उच्चाधिकारियों से मामले का संज्ञान लेने की अपील की।
अस्पताल के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि यहां मैडीकल स्पैशलिस्ट, अन्य डॉक्टरों व चतुर्थ श्रेणी की कमी देर से चल रही है और कई बार हमने प्रशासन को लिख चुके हैं, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं हुआ।
 

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