1965 की लड़ाई में पाकिस्तान को हो गया था यह वहम!

Friday, Aug 28, 2015 - 06:19 PM (IST)

नई दिल्ली: पाकिस्तान के मन में भारतीय सेनाओं की क्षमता को लेकर कई गलतफहमियां थी जिनके कारण 1965 की लड़ाई में उसे मुंह की खानी पड़ी।  भारत अगस्त-सितम्बर 1965 में 17 दिन चली इस लड़ाई में जीत की स्वर्ण जयंती मना रहा है जिसके तहत आज से एक महीने तक देश भर में अनेक समारोह और कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।  रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार इस लड़ाई में पाकिस्तान की सबसे बड़ी गलतफहमी यह थी कि 1962 में चीन से करारी हार के बाद भारतीय सैनिकों का मनोबल टूटा हुआ है और हमारा एक सैनिक उसके चार सैनिकों के बराबर है। दूसरी गलतफहमी यह थी कि कश्मीर के स्थानीय लोगों में भारत के प्रति रोष है और वह इसका फायदा उठा सकता है। 

तीसरी गलतफहमी लड़ाई में अमेरिका से मिलने वाले संभावित साथ और उससे खरीदे गए आधुनिक टैंकों को लेकर थी। चीन के हाथों भारत की हार के बाद से ही पाकिस्तान के मन में कसक थी कि वह भारतीय सेना के टूटे मनोबल का फायदा उठाकर कश्मीर पर कजा जमा सकता है। इसके लिए उसने साजिश रची और पांच अगस्त 1965 को लगभग 30 हजार सैनिकों को स्थानीय लोगों की वेशभूषा में नियंत्रण रेखा के पार कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों में घुसा दिया। लेकिन उसकी रणनीति उस समय असफल हो गई जब स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना भारतीय सेना को दे दी। भारतीय सैनिकों ने कश्मीर में तो पाकिस्तानी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया ही उसकी पश्चिमी सीमा पर भी बड़ा मोर्चा खोल दिया जिससे पाकिस्तान के हौसलें पस्त हो गये। इस लड़ाई में पाकिस्तान को अमेरिका से मिले अपने पेटन टैंकों पर भी बड़ा गुमान था। 

इसमें द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे अधिक टैंक जंग के मैदान में उतरे और दोनों तरफ के 400 से 600 टैकों पर लगी तोपों से गोले बरसाए गए। पाकिस्तान के पास भारत से बेहतर टैंक और तोपें थी जबकि भारत के पास ज्यादातर पुराने टैंक तथा पुरानी तोपें थी। इसके बावजूद भारतीय सैनिकों ने दुश्मन को धूल चटायी और उसके 200 से भी अधिक टैंकों को ध्वस्त कर दिया तथा कई को कब्जे में ले लिया। लड़ाई में अमेरिका का साथ न मिलने पर उसके भरोसे बैठे पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा। तटस्थ विशलेषकों के अनुसार इस लड़ाई में पाकिस्तान के 3800 सैनिक मारे गए, उसके 200 टैंक तथा 20 लड़ाकू विमान तबाह हो गए। भारत ने पाकिस्तान के 1840 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। पाकिस्तान ने कुछ मोर्चों पर भारतीय सैनिकों को छकाया लेकिन यदि वह ज्यादा दिन लड़ता तो उसे और अधिक खामियाजा उठाना पड़ता। इस बीच 23 सितम्बर को दोनों पक्षों में संघर्ष विराम के बाद युद्ध थम गया।

 
Advertising