कलाम की इस प्लानिंग से बौखला गया था अमेरिका, भारत को मिली थी बड़ी कामयाबी

Tuesday, Jul 28, 2015 - 01:17 PM (IST)

नई दिल्ली: मिसाईलमैन कहे जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का कल सोमवार को शिलांग में निधन हो गया। जिसके बाद पूरे देश में सात दिन का राष्ट्रीय शोक रखा गया है। अब्दुल कलाम जैसे महान इंसान के किस्से पढ़ कर हर कोई गर्व करता है कि ऐसे इंसान ने हमारे देश में जन्म लिया। 

मिसाईलमैन ने अपने जीवन में एक ऐसा मिशन कामयाब किया, जिसे देख दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका तक बौखला गया था। दरअसल, 11 व 13 मई 1998 को जैसलमेर के पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में खेतोलाई गांव के भारत की ओर से किए गए परमाणु परीक्षण की अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को भनक तक नहीं लग पाई थी। जिसका उसे आज तक अफसोस है।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि किस दिन किस तरह परमाणु परीक्षण करना है इसकी पूरी प्लानिंग डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने की थी। पूरे विश्व में परमाणु संयंत्रों और सैन्य गतिविधियों पर सैटेलाइट से निगरानी करने वाला अमेरिका उस समय हैरान रह गया था, जब उसे मालूम पड़ा कि भारतीय वैज्ञानिकों ने 11 मई व 13 मई को पोकरण में परमाणु परीक्षण किया है।

परीक्षण से पहले भारतीय सेना ने अपनी खुफिया गतिविधियां कश्मीर सहित दूसरे संवेदनशील केंद्रों पर बड़ा दी थी। भारतीय सेना ने दूसरी रेंज में युद्धाभ्यास भी शुरू कर दिया। जिससे अमेरिका के जासूसी उपग्रहों का ध्यान उस तरफ चला गया। इधर कलाम जानते थे कि जैसे ही सैन्य गतिविधियां दूसरे क्षेत्र में संचालित होंगी, अमेरिका के जासूसी उपग्रह वहां अपनी चौकसी बढ़ा देगें।

जैसे ही वह अपने मकसद में कामयाब हुए रात में उन्होंने पोकरण की मिट्टी के कलर का करीब 500 मीटर का तंबू लगवाया। कलाम सहित अन्य वैज्ञानिक उन्ही सेना के खुले ट्रकों 45 डिग्री तापमान में वहां सैन्य अधिकारियों के साथ पूरे ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाया।

अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, सेना व रक्षा विशेषज्ञों ने 11 व 13 मई को किए गए परमाणु परीक्षा का कोड वर्ड लाफिंग बुद्धा रखा था। पूरा कार्यक्रम इतनी गुपचुप तरीके से हुआ कि सभीअत्याधुनिक सैटेलाइट तकनीकें धरी की धरी रह गई और भारत को बहुत बड़ी कामयाबी मिली।

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