कोल्ड ड्रिंक पीने वाले सावधान, क्या आप जानते है ये सच

Monday, Jun 29, 2015 - 05:46 PM (IST)

नई दिल्ली: कोल्ड ड्रिंक पीने वाले सावधान हो जाएं, कहीं यह आपके शरीर को पूरी तरह खोखला न कर दें। हार्वर्ड विवि में किए गए एक सर्वे में इस बात की पुष्टि हुई हैं कि कोल्ड ड्रिंक पीने से डायबिटीज, हृदय रोग तथा शरीर में गांठें बनने का खतरा बढ़ जाता है। कैफीन से शरीर में मसल्स और नर्व की कार्यप्रणाली में बाधा आती है।

कोल्ड ड्रिंक का कोई भी स्वास्थ्यकारी लाभ मनुष्य की सेहत पर नहीं होता। किसी भी कोल्ड ड्रिंक कंपनी ने भी अब तक किसी कोल्ड ड्रिंक से स्वास्थ्य पर होने वाले फायदों का दावा नहीं किया है। एक 300 एमएल की कोल्ड ड्रिंक बोतल में 40 ग्राम चीनी होती है। इसको पीने के बाद व्यक्ति की रोजाना की अतिरिक्त चीनी की आवश्यकता लगभग दो गुना तक पूरी हो जाती है। इसके बाद व्यक्ति जो भी चीनी लेता है, उससे नुकसान ही होता है। साथ ही इन पेय पदार्थों में कैफीन भी होता है।

चीनी और कैफीन दोनों हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसान देह हैं। इसमें ड्रिंक तो है नहीं बस ये तो कोल्ड और शुगर ही है। अगर कोई 250 एमएल कोल्ड ड्रिंक पी लेता है  तो उसकी लगभग दिनभर की शुगर की जरूरत पूरी हो जाती है। फिर जब वह कुछ भी मीठा खाएगा तो उसके तो नकरात्मक असर होने ही हैं। जबकि अगर हम लागत के पैमाने पर देखें तो यह लगभग 100 एमएल दस रुपये में आता है। जबकि इसमें लागत के नाम पर चीनी, पानी और कैफीन के अलावा कुछ भी नहीं आता। जहां इन कंपनियों प्लांट होते हैं वहां ये जमीन से पानी निकालते हैं। शिकंजी, लस्सी और जूस आदि तमाम स्वास्थ्यकारी विकल्प उपलब्ध है।

इनसे क्या हो सकता है आपको नुकसान? 

चीनी से नुकसान : बिना किसी लाभकारी प्रभाव के केवल केलोरी प्रदान करता है। सेवन का कोई सुरक्षित मापक नहीं। अत्यधिक उपयोग करने पर नशे की लत सी हो जाती है। कार्बोनेटेड शीतल पेयों में अत्यधिक इस्तेमाल होता है। जिसका लीवर पर टॉक्सिक इफैक्ट उतना ही होता है जितना एल्कोहल का। मोटापा बढऩे, मधुमेह होने और मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है।

नमक से नुकसान : नमक भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग होता है। आहार में अधिक मात्रा में नमक लेने से उच्च रक्त चाप और गैर संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है। 

टीएफए से नुकसान : ट्रांस फैटी एसिड वनस्पति घी में सर्वाधिक पाया जाता है। वनस्पति घी जल्दी खराब नहीं होता। इसलिए इसका उपयोग बैकरी उत्पादों में किया जाता है। शरीर में इसकी मात्रा बढऩे से ब्लड लिपिड लेवल पर असर पड़ता है और गुड केलोस्ट्रॉल की मात्रा घट जाती है। उच्च घनत्व लेपोप्रोटीन और बैड केलोस्ट्रॉल को बढ़ा देता है। इससे मोटापा बढ़ता है और हृद्य संबंधी रोगों का कारण बनता है।

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