देश के सर्वश्रेष्ठ आर्किटेक्ट चार्ल्स कोरिया का निधन
punjabkesari.in Thursday, Jun 18, 2015 - 11:51 AM (IST)

मुंबईः 1930 के दशक में सिकंदराबाद के अपने घर में एक बच्चा खिलौने वाली ट्रेन से खेलता था। हर दिन वह कमरे का ले आऊट बदलता था, जहां उसने ट्रेन चलानी होती थी। घर वाले उसे डांटते लेकिन उनका यह शौक किसी तरह से कम नहीं हुआ। जी हां, यह बच्चा वहीं था जिसे आज दुनिया‘आजाद भारत के सर्वश्रेष्ठ आर्किटेक्ट’ के तौर पर जानती है।
2013 में आर्किटेक्ट चार्ल्स कोरिया को ये खिताब रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट ने दिया था। चार्ल्स कोरिया के आर्किटेक्ट काे ‘ओपन टू स्काई’ स्टाइल के लिए खास तौर पर जाना जाता है। साबरमती का गांधी मेमोरियल हो या भोपाल का भारत भवन। जयपुर का जवाहर कला केंद्र हो या आखिरी शाहकार कनाडा का इस्माइली सेंटर, हर इमारत डिजाइन करते वक्त ध्यान रखा कि वहां हवा और सूरज की रोशनी बेरोक-टोक पहुंचे। जहां जो बनाया, वहीं की तकनीक, मटेरियल और खूबसूरत आर्ट-कल्चर को दीवारों पर उकेरा। बड़े आंगन, खुले टैरेस व इमारत के भीतर का माहौल प्राकृतिक रूप से गर्म-ठंडा रखने पर ध्यान दिया।
वह शहरों को ‘उम्मीदों भरी जगह’ कहते थे लेकिन कंक्रीट के दमघोटू जंगलों से दिक्कत थी। उससे ज्यादा उस गरीब की फिक्र भी, जो इन जंगलात के अंधेरे कोनों में रहने के लिए मजबूर है। इसीलिए उन्होंने पहल की। देश में पहली बार गरीबों के लिए खुले-हवादार, सस्ते मकान बनाने का विचार लेकर लाए लेकिन सरकारों की बेरुखी उन्हें बेहद निराश कर गई और इसी नैराश्य में मंगलवार रात उन्होंने दुनिया छोड़ दी। गुरुवार को उनका शरीर उन्हीं 5 तत्वों में मिलने वाला है, जिन्हें वे अपने शाहकारों में समा लेने में लगे रहे।