सात फेरों के बाद हुआ कुछ ऐसा कि उड़ गए दुल्हन के होश

punjabkesari.in Saturday, Jun 13, 2015 - 11:31 PM (IST)

बाढड़ा  (पंकेस): कहते हैं जब भगवान रूठ जाता है तो कर्म व भाग्य भी साथ छोड़ जाता है। इसी तरह का वाकया गांव चांदवास में देखने को मिला। चांदवास निवासी विजय सिंगला की पुत्री ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी हाथों पर लगी मेहंदी सूखने से पहले ही उसका जीवनसाथी उसे अकेला छोड़कर हमेशा-हमेशा के लिए चला जाएगा। देर रात्रि चांदवास में विवाह के दौरान शादी के 7 फेरों की कसमें खाने के तुरंत बाद दूल्हे राजा आराम फरमाने के लिए अपने यार-दोस्तों के बीच बैठकर हंसी-मजाक करने लगे तो अचानक ही उनके सीने में तेज दर्द हुआ और देखते ही देखते उसने दम तोड़ दिया। 
 
गांव चंादवास निवासी विजय सिंगला कस्बे में ही फ्रूट मर्चैंट का काम कर अपने परिवार की आजीविका चलाता है। विजय सिंगला की पुत्री का आदमपुर निवासी दीपक के साथ विवाह तय किया हुआ था। देर रात्रि को ङ्क्षहदू रीति-रिवाज के साथ समय लगभग 2 बजकर 35 मिनट पर दूल्हे दीपक ने पावन वेदी पर पहुंचकर अपनी जीवनसंगिनी के रूप में पूजा से 7 फेरे लेकर 7 जन्मों तक का साथ निभाने का वायदा भी किया। इसके बाद नवदम्पति को वर-वधू दोनों पक्षों की तरफ से मौजिज ग्रामीणों ने आशीर्वाद भी दिया।
 
 समय का कुचक्र देखिए कि 1 घंटे पहले इस गांव के साथ दिली रिश्ते बांधने व जीवनसंगिनी को हर दुख तकलीफ में सुरक्षा कवच देने का दम भरने वाले दीपक के सीने में तेज दर्द हुआ और देखते ही देखते वह कुर्सी पर लेट गया। दीपक के साथियों ने उसकी हालत से घबराकर उनको कस्बे के निजी अस्पताल में ले जाया गाया लेकिन तब तक वह अंतिम सांस ले चुका था।
 
गांव आदमपुर निवासी दीपक साधारण परिवार से ताल्लुक रखता था और दादरी में रहकर रैफ्रिजरेटर ठीक करके अपने परिवार की आजीविका चलाता था। उनके फेरों के तुरंत बाद निधन होने की घटना ने दोनों घरों व उनके रिश्तेदारों में कोहराम मचा दिया। भले ही इन दोनों रिवारों को समझाने बुझाने के नाम पर लाख संवेदना जताई जाए लेकिन विवाह जैसे पावन पर्व पर शोक की छाया को भुलाना इन परिवारों के लिए बड़ा मुश्किल काम है।
 

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News