धारा 370 का हटना जम्मू कश्मीर की महिलाओं के लिए साबित हो रहा सही, अब नहीं होगा अधिकारों का हनन

Thursday, Aug 06, 2020 - 11:50 PM (IST)

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर को यूनियन टैरेटरी बने अब एक वर्ष हो गया है। ऐसे में एक फील्ड सबसे उभर कर सामने आ रहा है और वो महिलाओं के करियर मेकिंग का। धारा 370 के हटने से घाटी की महिलाओं को उनके संभावित क्षेत्रों में आगे बढ़ने के साधन मजबूत हुये हैं। नार्थ बंगाल के पर्यवेक्षकों, विश्लेषकों और बुद्धिजीवियों का मानना है कि धारा 370 हटने का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ है कि जम्मू कश्मीर की महिलाओं की बेड़ियां टूट गई हैं। बंगाल के एक राजनीतिक विश्लेषक का मानना है कि जम्मू कश्मीर की महिलाएं हमेशा ही एक ऐसा वर्ग रही हैं जिन्हें कभी कोई लाभ नहीं मिला। उन्हें न सिर्फ  उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखा गया बल्कि उनके मौजूदा अधिकारों का भी हनन होता रहा है। उन्होंने कहा कि अगर जम्मू कश्मीर की महिला एक बाहरी राज्य के व्यक्ति से शादी करती थी तो उसके अधिकार छीन लिए जाते थे पर अब ऐसा नहीं होगा।


उन्होंने कहा पहले धारा 370 और आर्टिकल 35ए के तहत बहुत से अधिकार हनन हाते थे। अगर महिला बाहरी व्यक्ति से शादी करती थी  तो उसके संपत्ति के अधिकार छिन जाते थे। जम्मू कश्मीर की स्थायी नागरिकता भी समाप्त हो जाती थी। क्योंकि जम्मू कश्मीर के स्थायी नागरिक को ही संपत्ति खरीदने, नौकरी पाने और राज्य में सेटल होने का अधिकार था पर वहीं अब ऐसा नहीं है।


5 अगस्त 2019 को संसद में अमित शाह ने जब धारा 370 समाप्त करने का बिल पेश किया तो उन्होंने कहा, राज्य की बेटी जब राज्य से बाहर शादी करती है तो उसके संपत्ति के अधिकार छिन जाते हैं। यह महिलाओं के साथ अन्याय है। कुछ लोग ही राजनीतिक लाभ हेतु धारा 370 का लाभ उठा रहे थे।


1972 में एक नोटिफिकेशन में कहा गया था कि राज्य के स्थायी नागरिक की पत्नी अथवा विधवा अपने पति के स्टेट सब्जैक्ट का लाभ तब तक ले सकती है जब तक वो राज्य के बाहर की कहीं स्थायी नागरिकता नहीं अपनाती। वहीं एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने कहा कि धारा 370 हटने से महिलाओं को काफी लाभ मिल रहा है। उनके बच्चे भी अब लाभान्वित हो रहे हैं। 

Monika Jamwal

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