1200 पाकिस्तानियों पर भारी पड़ गए थे देश के ये हीरो!

Thursday, Jun 11, 2015 - 04:25 PM (IST)

पोरबंदर: भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने उत्तर गुजरात के सुईगांव अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र की एक बॉर्डर पोस्ट को रणछोड़दास पोस्ट नाम दिया है। भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 व 71 में हुए युद्ध के समय सेना रणछोड़भाई रबारी का मार्गदर्शन सामरिक दृष्टि से निर्णायक रहा है। बीएसएफ के इन्स्पेक्टर जनरल ए के सिंहा के अनुसार केन्द्र सरकार की ओर से इजाजत मिलने पर पोस्ट का नामकरण किया गया है। सुरक्षा बल की कई पोस्ट के नाम मंदिर, दरगाह और जवानों के नाम पर हैं, किन्तु रणछोड़भाई पहले ऐसे गुजराती हैं, जिनके नाम पर पोस्ट का नामकरण किया गया है। 

जानकारी के मुताबिक, रणछोड़दास का जनवरी-2013 में 112 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। रणछोड़भाई अविभाजित भारत के पेथापुर गथडो गांव के मूल निवासी थे। विभाजन के चलते पेथापुर गथडो पाकिस्तान में चला गया। वहां पाकिस्तानी सैनिकों की प्रताडऩा से तंग आकर वह बनासकांठा (गुजरात) में बस गए। साल 1965 के आरंभ में पाकिस्तानी सेना ने भारत के कच्छ सीमा स्थित विद्याकोट थाने पर कब्जा कर लिया। इस जंग में 100 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। 

सेना की दूसरी टुकड़ी (10 हजार सैनिक) का तीन दिन में छारकोट पहुंचना जरूरी था, तब रणछोड़ ने सेना का मार्गदर्शन किया और सेना निर्धारित समय पर मोर्चे पर पहुंच सकी। रणक्षेत्र से पूरी तरह परिचित रणछोड़ ने बड़ी चतुराई से से इलाके में छुपे 1200 पाकिस्तानी सैनिकों के लोकेशन का भी पता लगा लिया था, जो भारतीय सेना के लिए अहम साबित हुई और सेना ने इन पर विजय प्राप्त की थी। उन्होंने सेना के गोला-बारूद खत्म होने पर बारूद पहुंचाने का काम भी किया। इन सेवाओं के लिए उन्हें राष्ट्रपति मेडल सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 

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