PICS: अखबार के पन्नों में गुम हो गया ''वंडर मैराथन ब्वॉय'' बुधिया

Monday, Jun 08, 2015 - 03:20 PM (IST)

कुरुक्षेत्र: ''वंडर मैराथन ब्वॉय'' बुधिया सिंह याद है आपको...??? दिमाग के घोड़े दौड़ाएंगे तो शायद याद आ जाए क्योंकि हमारा देश बहुत जल्द ही किसी को भूल जाता है क्योंकि अखबारों में भी किसी घटना या किसी की उपलब्धि को शुरुआत में तो पहले पन्ने पर फिर तीसरे और अंत में वो घटना कहीं गायब ही हो जाती है।

बुधिया सिंह भी एक ऐसा बालक है जिसे उसकी उपलब्धि के लिए पहले तो बहुत ऊपर उठाया गया और फिर अखबारों के पन्नों के साथ ही लोगों के दिमाग से भी उतर गया। जिस बालक ने किसी समय 5 वर्ष की उम्र में 55 किलोमीटर की दौड़ में कीर्तिमान स्थापित किया था और मीडिया में छा गया था आज वो कहां है किसी को नहीं मालूम। जो बच्चा भविष्य में ओलम्पिक पदक दिला सकता था, आज गुमनामी के अंधेरे में कहीं गुम है।

इन दिनों बुधिया सिंह एक सरकारी होस्टल में रहता है और कुपोषण का शिकार है। Kuk University ने फेसबुक पर इस बच्चे को अंधेरे से निकालने के लिए एक मुहीम चलाई है, जिसमें अनुरोध किया गया है कि उनके पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर किया जाए ताकि गुमनामी में खो गए बुधिया को फिर से उजाले की ओर लाया जाए।

800 रुपए में मां ने बेचा था बुधिया को
अत्यंत गरीब परिवार का बेटा था बुधिया जिसे उसकी मां सुकांति सिंह ने मात्र 800 रुपए में एक आदमी को बेच दिया था। बाद में एक स्थानीय खेल के कोच बिरंची दास की नजर बुधिया पर पड़ी। बिरंची दास ने बुधिया को गोद लिया और उसकी देख-रेख में उसने मैराथन दौड़ने का प्रशिक्षण लिया।

बुधिया के कोच की हत्या
कोच विरंची दास को बुधिया का मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न करने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया था। बुधिया की मां सुकांति सिंह ने पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि कोच विरंची दास उनके बेटे का कई दिनों से शारीरिक उत्पीड़न कर रहा है। उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में अज्ञात बंदूकधारियों ने नन्हे मैराथन धावक बुधिया सिंह के पूर्व कोच बिरंची दास की गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस आयुक्त विनय बेहरा ने बताया कि दास को उस समय नजदीक से गोली मारी गई जब वह उड़िया नववर्ष पर आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेकर बाहर निकल रहे थे। उन्हें तुरंत कैपिटल अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में नाम
बुधिया सिंह ने पुरी से भुवनेश्वर तक का 65 किलोमीटर लंबा सफर बिना रुके तय किया था। उसकी इस उपलब्धि को लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में भी जगह मिली। तब नन्हें बुधिया के चर्चा में आते ही विभिन्न संस्थाओं ने उसके लिए ढेरों कोष बनाने की घोषणएं की थीं लेकिन आज उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

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