370 की समाप्ति ही कश्मीर का हल: शंकराचार्य

punjabkesari.in Thursday, Jun 04, 2015 - 07:14 PM (IST)

हरिद्वारः ज्योतिषपीठ बद्रीकाश्रम के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने आज कहा कि केंद्र यदि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 खत्म कर आबादी के संतुलन का नुस्खा अपनाते हुए वहां कश्मीरी पंडितों को बसाये तो प्रदेश में राष्ट्र विरोधियों की गतिविधियों पर अंकुश लग जाएगा।


यहां संवाददाताआें से बातचीत में बदरीनाथ के शंकराचार्य ने कहा, ‘‘देश में जहां-जहां जनसंख्या संतुलित है, वहां उपद्रव नहीं होते।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जैसे पंजाब में हिन्दू और सिखों की बराबर आबादी होने से दोनों को एक दूसरे की जरूरत है, अत: झगडे को जगह नहीं मिलती। कश्मीर में देश के लचर कानून की वजह से वहां देश विरोधियों के हौसले बुलंद होते हैं और वहां उनपर अंकुश लगाने का एकमात्र तरीका है कश्मीरी पंडितों को वहां फिर से बसाया जाये।’’  


उन्होंने देश में हिन्दू और मुसलिम दोनों के लिए एक समान कानून को जरूरी बताते हुए कहा कि इससे दोनों समुदायों की जनसंख्या में संतुलन बना रहेगा। शंकराचार्य ने हालांकि, हिन्दुओं द्वारा चार संतानों की उत्पत्ति के बारे में अकसर दिए जाने वाले बयानों को घटिया बताते हुए कहा, ‘‘चार बच्चों से देश में हिन्दू-मुसलमान जनसंख्या संतुलित नहीं हो सकती। इसके लिये देश के कानून में परिवर्तन जरूरी है।’’


उन्होंने कहा, ‘‘हिन्दुआें को हिन्दू धर्म के बारे में पता ही नहीं है जबकि मुसलमानों में बच्चा-बच्चा अपने धर्म की गहन जानकारी रखता है क्योंकि मदरसों और ईसाई स्कूलों में बकायदा धार्मिक शिक्षा दी जाती है।’’  शंकराचार्य ने कहा, ‘‘हिन्दुओं के बच्चे धर्म निरपेक्षता की आड़ में धार्मिक ज्ञान से वंचित रह जाते हैं।’’ विश्व भर के प्रधानमंत्रियों और राष्ट्राध्यक्षों को गीता बांटने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री अपने देश के बालकों के हाथों में गीता क्यों नहीं देते?  


उन्होंने कहा, ‘‘मुझ पर बहुत बार कांग्रेसी होने का आरोप लगता रहा है, लेकिन मैं सिर्फ अपने देश के संदर्भ में विचार करता हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘देश के नेता चाहते हैं कि शंकराचार्य को देश का नेता न माना जाये क्योंकि इससे उनके हिन्दू कार्ड को खतरा पैदा हो जाता है।’’  शंकराचार्य ने मातृसदन के अनशनरत स्वामी शिवानन्द को खनन विरोधी बताया और कहा कि वह केवल खनन को रोकना चाहते हैं जबकि हम गंगा की सेवा और रक्षा के लिये संघर्षरत हैं । हमें गंगा की अविरल धारा चाहिए। 


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