5 महीने में होगा चौमासा, अच्छी बारिश का योग

Tuesday, Jun 02, 2015 - 04:28 PM (IST)

अम्बालाः इस बार 5 महीने का चौमासा रहेगा। 19 साल बाद एक बार फिर दो आषाढ़ होने से 4 माह का चौमासा इस बार 5 महीने का होगा। ज्योतिष विदों की मानें तो इस बार आषाढ में गुरु-शुक्र उदय-अस्त होना अच्छी वर्षा का संकेत दे रहे हैं। 

सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश के साथ ही 22 जून को वर्षाकाल माना जाता है, जो इस बार अधिक मास में ही रहा है। पहला आषाढ़ 3 जून से 2 जुलाई तक रहेगा, जबकि दूसरा आषाढ़ 3 जुलाई से 31 जुलाई तक रहेगा। पं.दीपलाल जयपुरी के मुताबिक इससे पहले दो आषाढ़ 1996 में आए थे। 

यूं तो अधिक मास में खंड वृष्टि का योग बताया गया है। लेकिन इस बार योगायोग में वर्षा ऋतु में गुरु शुक्र का उदय-अस्त होना वर्षा में श्रेष्ठता प्रदान करेगा। जो वर्षा की न्यूनता को दूर करेगा। चूंकि भगवान ने इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा है, उसे धार्मिक महात्म्य के लिए विशेष बताया गया है। इसमें दान-पुण्य का भी श्रेष्ठ महत्व है। 

8 माह ही होते हैं अधिक मास, शेष क्षय मास होने पर होते हैं अधिक मास। हिंदू कैलेंडर में चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ, सावन, भाद्रपद, आश्विन, फाल्गुन ही अधिक मास बनते हैं। जबकि शेष कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष और माघ अधिक मास में नहीं आते हैं। हां जिस साल क्षय मास बनता है उस वर्ष में शेष चार माह की भी अधिक मास की संभावना हो जाती है। उस वर्ष में दो अधिक मास होते हैं। 

19 या 141 वर्ष में बनती है क्षय मास की स्थिति क्षयमास की संभावना 19 साल या 141 साल में ही बनती है। ऐसी संभावना 1963 में बनी थी, तब मार्गशीर्ष क्षय हुआ था। उस समय आश्विन चैत्र मास अधिक मास था। फिर 1982 में भी ऐसी संभावना बनी। उस समय में क्षय मास पौष रहा। आश्विन और फाल्गुन अधिक मास रहे। अब क्षयमास 2123 में आएगा। 

17 जून से 16 जुलाई तक (अधिक मास) 
आषाढ़ में 17 जून से 16 जुलाई तक अधिकमास रहेगा। शास्त्रानुसार अधिक मास में शुभ मांगलिक कार्य वर्जित बताए गए हैं। ठाकुरजी के अभिषेक, चूड़ा करण, देव प्रतिष्ठा मुहूर्त भी नहीं होते हैं। मान्यतानुसार चतुर्दशी, पूर्णिमा, एकादशी व्रत ही इस महीने में होते हैं। शेष पूरा महीना धर्मग्रंथों के आचरण में व्यतीत होता है। 

एेसे आता है अधिक मास 
जबकिसी चंद्रमास में सूर्य संक्रांति नहीं आती है, तो उस वक्त अधिकमास बन जाता है। हर चंद्रमास में सूर्य संक्रांति होना जरूरी है। सौर वर्ष में 365 दिन होते हैं। जबकि चंद्रवर्ष में हर साल 11 दिन घटते हैं। इस तरह तीन वर्ष में 33 दिन कम हो जाते हैं। इसलिए सूर्य और चंद्र संक्रांति को समानांतर बनाने के लिए हर तीसरे वर्ष अधिक मास जाता है। 

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