अधिसूचना मामला: केंद्र और दिल्ली सरकार के लिए शुक्रवार का दिन अहम

Friday, May 29, 2015 - 12:42 AM (IST)

नई दिल्ली: अधिकारों की लड़ाई के मुद्दे पर केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों के लिए कल का दिन महत्वपूर्ण साबित होगा, क्योंकि उच्चतम न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय में तीन याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की अवकाशकालीन खंडपीठ जहां अधिसूचना मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) की सुनवाई करेगी, वहीं उच्च न्यायालय अधिसूचना के खिलाफ केजरीवाल सरकार और एक अन्य जनहित याचिका की सुनवाई करेगा।  

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिन्दर सिंह ने शीर्ष अदालत के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख किया, जिसके बाद अवकाशकालीन खंडपीठ ने इसकी सुनवाई कल करने का फैसला लिया। श्री सिंह ने दलील दी कि गृह मंत्रालय की अधिसूचना को ‘संदिग्ध’ करार देने वाले उच्च न्यायालय के आदेश की वजह से दिल्ली में प्रशासनिक कार्यों में गतिरोध की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इससे अनिश्चितता का माहौल पैदा हो गया है, इसलिए मामले की त्वरित सुनवाई नितांत आवश्यक है। 

उनकी इन दलीलों के बाद शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार की विशेष अनुमति याचिका को कल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किये जाने का निर्देश दिया। केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच क्षेत्राधिकार को लेकर चल रही जंग कल उच्चतम न्यायालय पहुंची थी। केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उसने केंद्रीय अधिकारियों पर कार्रवाई से रोकने की गृह मंत्रालय की अधिसूचना को संदेहास्पद बताया था। दरअसल दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल की जमानत याचिका खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने अधिसूचना को संदिग्ध बताया था।   

गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 21 मई को राजपत्र अधिसूचना जारी करके दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को केंद्रीय कर्मियों, अधिकारियों और पदाधिकारियों पर कार्रवाई के अधिकार से वंचित कर दिया था। साथ ही दिल्ली के उपराज्यपाल को वरिष्ठ अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती की भी पूर्ण शक्तियां दी गई थीं। उच्च न्यायालय ने कहा था कि उपराज्यपाल अपने विवेकाधिकार के आधार पर काम नहीं कर सकते।  

इस बीच दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके विशेष तौर पर केंद्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी है। दिल्ली सरकार की याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार की तरफ से 23 जुलाई 2014 और 21 मई 2015 को जारी अधिसूचना गैर-संवैधानिक है, क्योंकि इससे दिल्ली की निर्वाचित सरकार के हक खत्म किये जा रहे हैं।  दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में कार्यकारी मुख्य सचिव शकुंतला गैमलीन की नियुक्ति का भी किाक्र करते हुए कहा गया है कि एक मुख्यमंत्री को मुय सचिव चुनने का भी अधिकार नहीं है। इस बीच उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका की सुनवाई भी कल के लिए टल गयी। 

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