कलह: उपराज्यपाल ने प्रिंसिपल सेक्रेटरी को हटाने के केजरीवाल के फैसले को पलटा

Sunday, May 17, 2015 - 01:29 AM (IST)

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार में कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर चल रही तकरार आज उस वक्त मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच खुली जंग में तब्दील हो गई जब दोनों ने एक दूसरे के अधिकार क्षेत्र को ही चुनौती दे डाली।


आप सरकार द्वारा मना किए जाने के बावजूद वरिष्ठ नौकरशाह शकंतुला गैमलिन के बतौर कार्यवाहक मुख्य सचिव का प्रभार संभालने के कुछ ही घंटों बाद केजरीवाल ने जंग को तीखे शब्दों वाला एक पत्र लिख कर उन पर निर्वाचित सरकार को निष्प्रभावी करने तथा निर्धारित नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया. मुख्यंत्री ने कहा कि उप राज्यपाल को संविधान के दायरे में रहकर काम करना चाहिए।


जंग ने पलटवार करते हुए कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति में देरी के लिए उनको जिम्मेदार ठहराया तथा सेवा विभाग के प्रधान सचिव अरिंदम मजूमदार के तबादले के केजरीवाल के फैसले को पलट दिया. मजूमदार ने ही जंग के निर्देश पर कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्त का आदेश जारी किया था।


जंग से निर्देश मिलने के बाद गैमलिन को नियुक्ति पत्र जारी करने वाले सेवा विभाग में कार्यरत प्रधान सचिव अरिंदम मजूमदार को भी पद से हटा दिया गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने मुद्दे से अवगत कराने के लिए राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा है।


गौरतलब है कि जंग ने गैमलिन के नामित किए जाने का केजरीवाल शासन द्वारा विरोध किए जाने के बाद कल उन्हें नियुक्त किया था. केजरीवाल शासन ने आरोप लगाया था कि उनके बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस के साथ करीबी संबंध है। हालांकि, 1984 बैच की आईएएस अधिकारी ने आरोपों से इनकार करते हुए उन्हें बेबुनियाद बताया।


जंग के कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर मुख्यमंत्री के साथ उचित सलाह ली गई और संबंधित जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। दिल्ली में मुख्यमंत्री और उप राज्यपाल के बीच टकराव के मामले पर केंद्रीय गृह सचिव एल सी गोयल ने संवददाताओं से कहा, ‘‘गृह मंत्रालय का इससे कोई लेनादेना नहीं है। उप राज्यपाल और मुख्यमंत्री हालात से निपटने में सक्षम हैं।’’ केजरीवाल ने अपने पत्र में शासन के लिए विभिन्न नियमों एवं निर्धारित कार्यप्रणालियों का जिक्र किया है।


मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा है, ‘‘ऐसी स्पष्ट प्रक्रिया के बावजूद, आपने न सिर्फ कानून का पालन नहीं करने का विकल्प चुना बल्कि सरकार पर नियंत्रण करने की कोशिश की और प्रधान सचिव :सेवाएं: से आदेश को सीधे तामील करा लिया, जिनके बारे में मेरा मानना है कि आपकी सहमति से काम करने में वह शामिल थे। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि यह लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को ‘‘निष्प्रभावी’’ करने के लिए और दिल्ली का प्रशासन सीधे अपने हाथ में लेने के लिए यह बहुत झीने आवरण से ढका हुआ प्रयास है।


मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं आपसे पुरजोर अनुरोध करता हूं कि आप संविधान की हदों में और दिल्ली सरकार से जुड़े कानून के दायरे में रहें। आप एक संवैधानिक पद पर हैं। चाहे जो कुछ राजनीतिक दबाव रहा हो, आपका कर्तव्य संविधान का पालन करने का है।’’ मुख्य सचिव केके शर्मा निजी यात्रा पर अमेरिका रवाना हो गए जिसके चलते सरकार को एक कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त करना पड़ा. गामलिन उर्जा सचिव के पद पर सेवा दे रही थी।


आप सरकार ने भाजपा को आड़े हाथ लेते हुए उस पर उपराज्यपाल के जरिए ‘तख्तापलट’ की कोशिश करने आरोप लगाया. दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि भाजपा ने राज्य के इतिहास में सर्वाधिक जनादेश से लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार के खिलाफ उपराज्यपाल के जरिए तख्तापलट की कोशिश की।


सिसोदिया के पास सेवा विभाग का भी प्रभार है. उन्होंने पीटीआई भाषा को बताया, ‘‘यह पहला मौका है जब उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद को दरकिनार करते हुए अधिकारियों को सीधे निर्देश जारी कर रहे हैं।’’ उपराज्यपाल को लिखे अपने पत्र में केजरीवाल ने कहा है कि अपने पसंद के अधिकारी को दिल्ली के कार्यवाहक मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त करने के लिए प्रधान सचिव (सेवाएं) को जारी किए गए निर्देशों से मैं भौंचक हूं। ऐसा कर आपने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार की अनदेखी की।


केजरीवाल समर्थित परिमल राय ने कार्यवाहक मुख्य सचिव बनने से इनकार करते हुए इस बात का जिक्र किया कि वह उप राज्यपाल के निर्देश का सम्मान करते हैं। गैमलिन को उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव का अतिरिक्त प्रभार दिया. इससे पहले उन्होंने जंग को पत्र लिखकर दावा किया कि इस पद की दौड़ से हटने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ नौकरशाह उन पर दबाव डाल रहे हैं।


सिसौदिया ने कहा, ‘‘संविधान, दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (जीएनसीटी) अधिनियम और कामकाज से जुड़े नियम साफ तौर पर परिभाषित करते है कि उपराज्यपाल क्या कर सकते हैं। उपराज्यपाल और मंत्री परिषद के बीच विवाद या वैचारिक मतभेद की स्थिति में उपराज्यपाल को मामले पर चर्चा के लिए संबंधित मंत्री से बात करनी चाहिए थी।’’ जंग ने कल आप के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 239एए के तहत उपराज्यपाल दिल्ली में राज्य प्राधिकार के प्रतिनिधि हैं।


उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि मंत्रिपरिषद असहमत होती है तो वह मामले को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं और उनकी सलाह मंत्रिपरिषद को बताई जा सकती है।
Advertising