तस्वीरों में देखें, जब एक श्राप से अमृत बन गया था इस बावड़ी का पानी!

Monday, Apr 27, 2015 - 01:40 PM (IST)

कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां ऋषि के श्राप के कारण इस बावड़ी का पानी अमृत बन गया था। आइए हम आपको बताते हैं इस बावड़ी की पूरी कहानी। दरअसल यह बावड़ी कांगड़ा के पालमपुर स्थित अगोजर में हैं। कहा जाता है कि इस बावड़ी का पानी निसंतान महिलाओं के ‌लिए काफी शुभ माना जाता है। 

ऐसी मान्यता है कि एक बार ऋषि यहां पर इस बावड़ी के अंदर छिपकर काफी वर्षों से तपस्या कर रहा था और वह तपस्या में पूरी तरह लीन था। बाद में जब देवताओं को इसका बात का चला तो वे डर गए। देवताओं ने समझा कि यह ऋषि कड़ी तपस्या के बाद देवलोक पर राज कर सकता है। इसके बाद देवराज ने ऋषि की तपस्या भंग करने के बारे में सोचा। उसने बड़ी चालाकी से देवलोक से अप्सराओं को ऋषि की तपस्या को भंग करने के लिए भेज दिया। इन अप्सराओं ने पहले तो वहां आकर नाच-गान किया और फिर बाद में उस बावड़ी में नहाने लग पड़ीं।

इससे ऋषि की तपस्या भंग हो गई और वे क्रोधित हो गए। इसी दौरान ऋषि ने अप्सराओं को श्राप देते हुए कहा कि अप्सराएं अविवाहित होते हुए भी गर्भवती हो जाएं। इस श्राप को सुनकर देवलोक में हड़कंप मच गया। इसके बाद देवता तुरंत ऋषि के पास आए और उन्होंने उनसे श्राप वापस लेने की प्रार्थना की। बाद में ऋ‌षि शांत हुए। उन्होंने कहा कि जो इस पानी से नहाकर मंदिर में ऋषि की पूजा करेगा उसे चर्म रोगों से मुक्ति मिल जाएगी और जो महिलाएं निसंतान होंगी, उन्हें यहां संतान की प्राप्ति होगी।

तब से लेकर आज तक यहां पर दूर-दूर से लोग आकर अपनी समस्याओं से मुक्ति से छुटकारा पाते हैं। वैसे तो यहां पर हर वर्ष लोगों का आना-जाना लगा रहता है लेकिन अप्रैल से जुलाई महीने के मंगल और रविवार के दिन काफी भीड़ होती है। क्योंकि इन दिनों बावड़ी का पानी भी बढ़ जाता है। आपको बतां दें कि इस बावड़ी के साथ ही एक पीपल का पेड़ और यहां शिव मंदिर भी है जो लोगों की हर मनोकामना को पूरी करते हैं।

 
 
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