5000 साल पहले बच्चों के खिलौनों के बारे में खुदाई के दौरान हुआ यह खुलासा

Monday, Apr 20, 2015 - 06:20 AM (IST)

हिसार(संतोष कायथ): बच्चों के बचपन को संजोने के लिए आज हमारे पास जहां विभिन्न प्रकार के खिलौने व खेल हैं वहीं कई देशों ने इसके लिए बाकायदा कानून भी बना रखे हैं। आज से 5 हजार साल पहले बच्चों के खिलौनों की आप शायद कल्पना भी नहीं करते होंगे लेकिन आपकी कल्पना से परे राखीगढ़ी में 5 हजार साल पहले भी बच्चों के लिए खिलौने बनाए जाते थे। खिलौने भी उसी टेरेकोटा के जिसकी चूडिय़ां बनती थीं। इस बात का खुलासा इस समय राखीगढ़ी गांव में चल रही खुदाई के दौरान हुआ है। यहां पर पुणे की डैक्कन यूनिवर्सिटी, हरियाणा के पुरातत्व विभाग व दक्षिणी कोरिया की सियोल नैशनल यूनिवर्सिटी एक पंच वर्षीय परियोजना के तहत खुदाई कर रही है और अब इस योजना का तीसरा साल चल रहा है।
 
प्रोजैक्ट के सह निदेशक निलेश जाधव, योगेश यादव, मालविका चटर्जी, शालमली माली ने बताया कि राखीगढ़ी की खुदाई के दौरान टेरेकोटा के काफी खिलौने मिले हैं। टेरेकोटा की बात करें तो यह एक प्रकार की मिट्टी ही होती है जिसको करीब एक हजार डिग्री सैल्सियस तापमान पर पकाया जाता है। उस जमाने में टेरेकोटा की ही चूडिय़ां और टेरेकोटा के ही खिलौने बनाए जाते थे। उन्होंने बताया कि राखीगढ़ी में खुदाई के दौरान मिट्टी की हाथ से बनाई गई गेंद और टेरेकोटा से बनाया गया स्टैपू भी मिला है। इनके अलावा टेरेकोटा के बेबी एलिफेंट, 4 सिंग का हिरण, भालू, भैंस, 4 पांव वाला उल्लू, बंदर आदि खिलौने भी मिले हैं। 
 
इन खिलौनों के नीचे सुराग और साथ में छोटे-छोटे पहिये भी मिले हैं जिससे ऐसा लगता है कि बच्चे इनको चलाया करते थे। इससे सिद्ध होता है कि 5 हजार साल पहले भी बच्चों के मनोरंजन का पूरा ध्यान रखा जाता था। यहां बता दें कि पुरातत्वविदों द्वारा यहां की गई खुदाई के दौरान मिले आभूषणों में लापीस लाजुली नामक पत्थर के मणके भी मिले हैं जो अफगानिस्तान में ही मिलते हैं जिससे यह सिद्ध हो चुका है कि 5 हजार साल पहले राखीगढ़ी का अफगानिस्तान से व्यापारिक संबंध था। इसी प्रकार यहां पर शंखों की चूडिय़ां भी मिली थी जो गुजरात में ही बनती थी। इस प्रकार इस सभ्यता में गुजरात और अफगानिस्तान के साथ राखीगढ़ी का व्यापार होने के प्रमाण मिल चुके हैं।
 
इसके अलावा यहां पर मिली कब्रगाहों के पास खाने का सामान व बर्तन भी मिले जिससे यह सिद्ध हो चुका है कि उस सभ्यता में लोग मृत्यु के बाद भी जीवन पर विश्वास करते थे। इसके अलावा यहां पर टेरेकोटा के केक व टाइल्स भी मिली है जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि उस समय आंगन में टाइल्स लगाने का भी प्रचलन था। उल्लेखनीय है कि पुरातत्वविदों ने हरियाणा के हिसार स्थित राखीगढ़ी की खोज वर्ष 1963 में की थी। भारतीय पुरातत्व विभाग ने राखीगढ़ी में खुदाई कर एक पुराने शहर का पता लगाया था और तकरीबन 5000 साल पुरानी कई वस्तुएं बरामद की थीं। राखीगढ़ी में लोगों के आने-जाने के लिए बने हुए मार्ग, जल निकासी की प्रणाली, बारिश का पानी एकत्र करने का विशाल स्थान, कांसा सहित कई धातुओं की वस्तुएं मिली थीं।   
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