लोकसभा में सोमवार को पेश होगा भूमि अध्यादेश

Sunday, Apr 19, 2015 - 10:09 PM (IST)

नई दिल्ली: विवादास्पद भूमि विधेयक मुद्दे पर कल लोकसभा में हंगामा होने के आसार हैं क्योंकि सरकार ने कल से शुरु हो रहे बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले ही दिन नए भूमि अध्यादेश को पेश करने का निर्णय किया है। कार्यसूची के अनुसार संसदीय मामलों के राज्य मंत्री राजीव प्रताप रुडी भूमि अर्जन पुनर्वास एवं पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार (संशोधन) अध्यादेश की एक प्रति सदन के पटल पर रखेंगे।

इस अध्यादेश को राष्ट्रपति ने गत तीन अप्रैल को संविधान के अनुच्छेद 123 (2) (ए) के तहत जारी किया था। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ‘यमन गणराज्य में हाल में हुए घटनाक्रमों और वहां से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए किये गए प्रयासों’ के बारे में एक बयान भी देंगी। बजट सत्र आठ मई को समाप्त होगा. राज्यसभा का एक नया सत्र 23 अप्रैल से शुरु होगा जो 13 मई को समाप्त होगा।

बजट सत्र की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उम्मीद जतायी कि यह ‘‘परिणामों’’ से परिपूर्ण होगा। उन्होंने साथ ही कहा कि उनकी सरकार आने के बाद संसद की उत्पादकता ‘‘125 प्रतिशत पर पहुंच गई है।’’   संसद का सत्र कई मुद्दों को लेकर हंगामेदार रहने की संभावना है जिसमें भूमि विधेयक शामिल है। संसदीय मामलों के मंत्री वेंकैया नायडू ने भाजपा सांसदों से कहा कि वे पूरे सत्र के दौरान अपने सदन में मौजूद रहें।

सरकार भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को बजट सत्र के पहले हिस्से में राज्यसभा में कडे विरोध के चलते कानून में तब्दील नहीं कर पायी थी। भूमि अध्यादेश की अवधि समाप्त होने के एक दिन पहले तीन अप्रैल को इसे फिर से जारी किया गया था।

ताजा अध्यादेश नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से जारी 11वां अध्यादेश है। इसमें नौ संशोधनों को शामिल किया गया है जो गत महीने लोकसभा में पारित विधेयक का हिस्सा थे। यह राज्यसभा में लंबित है जहां राजग गठबंधन के पास इसे पारित कराने के लिए संख्या बल नहीं है। भूमि अर्जन पुनर्वास एवं पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार (संशोधन) विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था और इसे उस अध्यादेश का स्थान लेना था जो दिसम्बर में जारी किया गया था।

विपक्ष सरकार को उपकृत करने के मूड में नहीं था और वास्तव में उसने उसके खिलाफ कडा अभियान चलाया। सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने वह मूल भूमि विधेयक पारित करने की मांग की जो संप्रग सरकार के दौरान पारित किया गया था।

सरकार ने फिर से अध्यादेश जारी करने के लिए मार्च के आखिरी सप्ताह में राज्यसभा का सत्रावसान कर दिया था। यद्यपि अध्यादेश का स्थान लेने के लिए विधेयक पारित कराना सरकार के लिए बजट सत्र के दूसरे हिस्से और 23 अप्रैल को शुरु हो रहे राज्यसभा के नये सत्र में भी एक कठिन कार्य प्रतीत हो रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के अलावा जनता परिवार सहित अन्य दलों ने अपना संघर्ष बढा दिया है।

कल सत्र शुरु होने पर लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन सिंगापुर के पूर्व प्रधानमंत्री ली कुआन यू के निधन और यहां निचले सदन के दो पूर्व सांसदों के निधन संबंधी उल्लेख करेंगी और सदन में उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी। बजट सत्र का पहला हिस्सा 20 फरवरी 2015 को शुरु हुआ था और 20 मार्च 2015 तक चला था। दोनों सदनों को स्थगित कर दिया गया था

ताकि मंत्रालय संबंधी स्थायी समितियां संबंधित मंत्रलय अनुदानों की जांच पडताल कर सकें। इसके बाद राज्यसभा के 234वें सत्र का सत्रवसान कर दिया गया था और 23 अप्रैल को नया सत्र आहूत किया गया है। यह सत्र 13 मई को समाप्त होगा।
 

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