इस मजार पर घड़ियां चढ़ाने से होती है मन्नत पूरी

punjabkesari.in Friday, Apr 17, 2015 - 01:46 PM (IST)

शाहाबाद: भारत एक ऐसा देश है जो गुरुओं, पीरों-फकीरों की धरती माना जाता है। देश के हर हिस्से में आपको पीरों की मजार मिल जाएगी और इनकी अपनी अनूठी पंरपराएं भी हैं। एक ऐसी मजार है जहां पर घड़ियां चढ़ाई जाती है। यह मजार है नौगजा पीर की। हरियाणा के अंबाला-शाहाबाद नैशनल हाइवे-1 पर स्थित इस मजार पर घड़ियां चढ़ा कर मन्नतें मांगी जाती हैं।

यह जगह दो कारणों से प्रसिद्ध है। पहली यह कि, यह जगह हिन्दू-मुस्लिम एकता की प्रतिक है क्योकि यहां पर एक ही जगह मुस्लिम संत की मजार और हिन्दू के अराध्या देव शिव का मंदिर है। इस मजार पर श्रद्धालु चढ़ावे में घडिय़ा चढ़ाते है। यहां पर आपको करीने से सजाई हुई घड़ियां नजर आएंगी।

यह परंपरा कब व कैसे शुरू हुई इसके बारे में किसी को कोई खास जानकारी नहीं है पर कहा जाता है कि हाईवे पर वाहन चालकों कि चिंता समय और सुरक्षित पहुचने की होती है। ऐसे में यहां शीश नवा कर जहां वे सुरक्षित यात्रा की मनोकामना मांगते है, वही घड़ी चढ़ा कर यह दुआ मांगते हैं कि समय पर अपनी मंजिल में पहुंच जाए।

इस पीर की देखरेख का जिम्मा रेडक्रॉस के पास है। यहां पर इतनी अधिक घड़ियां चढ़ती हैं कि बाद में रेडक्रॉस को उन्हें बेचना पड़ता है। इस पैसे से ही मजार की देखभाल की जाती है और सेवादारों को वेतन दिया जाता है। यह मजार शाहाबाद से छह किलोमीटर दूर स्थित है। इतिहासकारों के मुताबिक पीर सैयद इब्राहिम सूफी फकीर शेख अबूल मौआली के समकालीन थे और 1615 के आसपास शाहाबाद में आकर बस गए थे।

पीर साहिब को प्रसिद्घ सूफी फकीर शेख चेहली साहिब का सान्निध्य भी हासिल रहा। मजार की लंबाई 9 गज थी, इस कारण से भी मजार का नाम नौगजा पीर है। हालांकि अब मजार की लंबाई बढ़ा दी गई है। मजार पर सैकड़ों की तादाद में राहगीर वाहन चालक कुछ देर के लिए रुकते हैं और मजार पर घड़ी, चादर आदि चढ़ावे के रूप में भेंट करते हैं।


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