उमर के रवैये ने हराया : मीर

Wednesday, Apr 08, 2015 - 05:32 PM (IST)

जम्मू (बलराम सैनी): जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का मानना है कि राज्य में कांग्रेस की हार के पीछे पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ही एक बड़ा कारण हैं। कमेटी के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर का आरोप है कि नैशनल कान्फ्रेंस के नेता जनता के साथ तालमेल नहीं बिठा पाए। उन्होंने कहा कि सरकार का मुखिया होने के तौर पर उमर खुद को आम लोगों से बिल्कुल नहीं जोड़ पाए, जिससे उनकी पार्टी नैशनल कांफ्रैंस के साथ-साथ कांग्रेस को भी नुक्सान उठाना पड़ा।

पिछली सरकार ने विकास कार्य तो बहुत किए, लेकिन मुख्यमंत्री के अलावा अन्य मंत्री और विधायक भी अपनी पार्टियों के कार्यकर्ताओं से जुड़ाव नहीं रख पाए, जिससे कार्यकर्ता निराश हो गया और उसने पूरी ताकत के साथ चुनाव में काम नहीं किया।
‘पंजाब केसरी’ के साथ विशेष बातचीत में मीर ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने के बाद उनके समक्ष सबसे बड़ी चुनौती टोलियों में बंटी पार्टी को सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी की टोली बनाना है। उन्होंने कहा कि पहले भी कांग्रेस के सभी नेता एवं कार्यकर्ता सोनिया और राहुल गांधी को अपना नेता मानते हैं, लेकिन फिर भी टोलियों में बंटे दिखाई देते हैं।

उनकी प्राथमिकता होगी कि इन टोलियों को खत्म करके पार्टी को मजबूती प्रदान की जाए, क्योंकि नकारात्मक सोच से पार्टी को नुकसान होता है। इसके अलावा उनका प्रयास है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को चुनावी हार के मानसिक दबाव से बाहर लाकर मौजूदा सरकार की खामियों को उजागर करने के काम में सक्रिय किया जाए। वैसे भी कांग्रेस ने लद्दाख और कश्मीर में बेहतर प्रदर्शन किया है, जम्मू में भी भाजपा के दुष्प्रचार एवं ध्रुवीकरण के कारण ही पार्टी को नुक्सान उठाना पड़ा है। लोग अभी से महसूस करने लगे हैं कि कांग्रेस पार्टी ही सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की क्षमता रखती है। 
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि विपक्ष में होने के कारण इस समय कांग्रेस को युवा एवं उर्जावान नेताओं की ज्यादा जरूरत है, ताकि सरकार की गुमराह करने वाली नीतियों को जमीनी स्तर पर आम जनता के बीच प्रभावित ढंग से उजागर किया जा सके।

इसलिए उन्होंने अपनी टीम में युवा नेताओं को शामिल किया है, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की अहमियत कम हो गई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी में वरिष्ठ नेताओं को पूरा सम्मान दिया गया है, क्योंकि पार्टी को उनके अनुभव की जरूरत है।
 

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