वी के सिंह की बहादुरी की चर्चा क्यो नहीं ?

Thursday, Apr 02, 2015 - 04:49 AM (IST)

नई दिल्ली: भारत सरकार की ओर से अपने नागरिकों को यमन छोडऩे की एडवाइजरी जारी करने के बाद भारतीय नौसेना ने वहां से लोगों को सुरक्षित निकालने के अभियान में सहयोग देना शुरू कर दिया है। नौसेना ने इस काम के लिए तीन जहाज तैनात किए हैं। कई एजेंसियों की ओर से अंजाम दिए जा रहे इस अभियान के तहत समुद्र में गश्त करने वाले आईएनएस सुमित्रा यमन से भारतीयों को निकालने वाला पहला जहाज था। यह जहाज जल दस्यु विरोधी अभियान के तहत अदन की खाड़ी में 11 मार्च, 2015 से तैनात था। 

इस जहाज को 30 मार्च, 2015 को दोबारा अदन बंदरगाह से दूर तैनात किया गया और यहां से यह 31 मार्च, 2015 को यहां दाखिल हुआ। आईएनएस सुमित्रा ने यमन से 349 भारतीय नागरिकों को निकाल लिया है और अब यह दिजिबोती की ओर जा रहा है। दिजिबोती में लोगों को उतारने के बाद आईएनएस सुमित्रा यमन लौट जाएगा ताकि जरूरी होने पर लोगों की दूसरी खेप को वहां से निकाला जा सके। विदेश राज्य मंत्री वी.के.सिंह मंगलवार को भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी के प्रयास पर नजर रखने के लिए जिबूती रवाना हुए हैं, बता दें कि वी के सिंह यमन से भारतीयों को निकालने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे लेकिन फिर भी सरकार इससे अनजान है। 
 
भारतीय नौसेना के दो और जहाज मुंबई और तरकश भी 30 मार्च, 2015 को मुंबई से रवाना हुए हैं। ये दोनों दो यात्री जहाजों कावारत्ती और कोरल्स को सुरक्षा देंगे। सोमालिया तट से दूर समुद्र में जल दस्युओं के बढ़ते आतंक की वजह से यह जरूरी हो गया है। ये यात्री जहाज 30 मार्च, 2015 को कोच्चि से दिजिबोती की ओर चले थे। इसके बाद ये दोनों जहाज भी यमन से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालने के अभियान में शामिल हो जाएंगे। संयोग से भारतीय नौसेना ने फरवरी, 2015 से ही बड़े पैमाने पर मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) अभ्यास शुरू किया था। मौजूदा अभियान की तत्परता और लचीलेपन ने एक बार फिर मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) में भारतीय नौसना की क्षमता साबित कर दी है।
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