आलू के दाम ने ली 8 किसानों की जान

Saturday, Mar 28, 2015 - 01:38 AM (IST)

कोलकाता: आलू की अधिकता और कीमतों में आई कमी के कारण पश्चिम बंगाल में हुगली, बर्दवान और बांकुरा जिले में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। अकेले हुगली में 6 लोगों के आत्महत्या करने की खबर है। आलू की प्रति किलो कीमतों में 3 से 4 रुपए तक की गिरावट आई है। निकट भविष्य में यह दबाव कम होता नजर नहीं आ रहा और ऐसे में अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित किसान आंदोलन का रास्ता अपना रहे हैं। 

2013 में बंगाल के किसानों ने 85 लाख टन गेहूं की बुआई की थी और इससे उन्हें अच्छा-खासा मुनाफा भी हुआ था लेकिन आलू उत्पादन में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में फसल बर्बाद होने के बाद आलू की कीमतों के उतार-चढ़ाव आ गया। ऐसी परिस्थिति में बंगाल, जो दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है, आगे बढ़कर परिस्थितियों को सहज बना सकता था लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दूसरे राज्यों को रियायती दरों पर आलू देने पर रोक लगा दी। ममता को इस बात का डर था कि दूसरे राज्यों को आलू निर्यात करने से उनके राज्य में कमी पैदा हो सकती है। कोलकाता के आसपास तो आलू की कीमतें स्थायी रहीं लेकिन ओडिशा, झारखंड, बिहार और अन्य स्थानों पर आलू के भाव 35 रुपए किलो तक पहुंच गए। फिर भी बंगाल के किसानों ने उस वर्ष फसल पर लाभ कमाया।
 
इस बार भी बंगाल के किसान आलू की फसल को लेकर खासे उत्साहित थे। वे अपने पुराने फार्मूले को अपनाने के मूड में थे। इस बार किसानों ने 4 लाख हैक्टेयर से अधिक जमीन पर आलू की बुआई की। एक करोड़ टन से भी अधिक का उत्पादन हुआ। राज्य के 435 कोल्ड स्टोरेज में अधिकतम 62 लाख टन रखने की क्षमता है। ऐसे में भंडारण को लेकर एक नई समस्या उत्पन्न हो गई। खुले में रखने पर आलू पर कुदरत की मार पड़ सकती थी। ऐसे में किसानों ने कुछ आलू अपने घर पर रखने का फैसला किया। जल्द ही आलू खराब होना शुरू हो गया।
 
2013 के कड़वे अनुभव के बाद पड़ोसी राज्यों ने इस बार आलू की बुआई अधिक की। ओडिशा, बिहार, असम और अन्य राज्यों में आलू के अधिक उत्पादन से बंगाल के आलू की मांग बाजार में कम हो गई। बंगाल आलू व्यापारी संघ के एक अधिकारी आलू मुखर्जी शिकायत दर्ज कराते हुए कहते हैं कि आलू की खेती की कीमत को समझा नहीं गया। झारखंड, असम, आंध्र प्रदेश के व्यापारी अब हमसे संपर्क नहीं कर रहेहैं। पिछले साल क्योंकि हमारी सरकार ने हमें बाहर आलू बेचने की इजाजत नहीं दी इसलिए हम उन्हें उतने आलू नहीं दे पाए जितने का हमने वायदा किया था।
 
असम सरकार ने आलू की खेती पर सबसिडी देने का फैसला किया है। पंजाब और यू.पी. में भी बंपर फसल हुई है। इससे कुल मांग में काफी कमी आई है। आलू के दाम में आई गिरावट के कारण आत्महत्या करने वाले किसान तपन की पत्नी ने बताया कि उसके पति ने 2 बीघा जमीन ठेके पर लेकर आलू की फसल की बुआई की थी। उसने 40,000 रुपए का कर्ज लिया था परंतु उसे अपनी फसल का खरीदार नहीं मिला। उसने 8000 रुपए में फसल को बेचा। कर्जदाता ने उसका जीना मुहाल कर दिया था जिस कारण उसके पति ने आत्महत्या कर ली। 
 
हालांकि राज्य सरकार किसानों द्वारा आत्महत्या करने की बात को स्वीकार नहीं कर रही है। राज्य कृषि मंत्री ने इन घटनाओं का कारण पारिवारिक कलह बताया है। मंत्री के अनुसार आत्महत्या की बात को आगामी कोलकाता नगर निगम के चुनावों के मद्देनजर हवा दी जा रही है।
 
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