Salute: हाथ नहीं फिर भी करती है हर काम... देखिए तस्वीरें

Tuesday, Mar 10, 2015 - 12:21 PM (IST)

सोनीपत (पवन राठी): गत रविवार को पूरे देश में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। इस पुरुष प्रधान में आज भले ही महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने की बात कही जाती हो लेकिन कहीं न कहीं ऐसे हालात हैं कि महिलाएं खुद मेहनत कर अपने परिवार का पोषण करती हैं और समाज में अपनी मजबूत छवि को पेश करती हैं।

हमारे सामने बहुत से उद्धाहरण होंगे जो महिला सश्क्तिकरण की मुंह बोलती तस्वीर होंगी और एक ऐसा ही उद्धाहरण है हरियाणा के सोनीपत की नसीबा और मीना देवी। नसीबा और मीना को जो कोई देखता है उसके जज्बे और हौंसले को सलाम किए बिना नहीं रह पाता। नौ साल की नसीबा के दोनों हाथ और एक पांव नहीं है।

नसीबा अपने एक ही पांव से अपना हर काम करती है हालांकि वह सामान्य बच्चों की तरह अपना जीवन नहीं जी पाती।  सोनीपत के रसोई गांव निवासी सहाबुद्दीन की चार बच्चों में सबसे छोटी बेटी नसीबा विकलांगता का शिकार है। नसीबा तीसरी कक्षा में पढ़ती है और उसके अध्यापक भी उसके हौंसले को देख दंग रह जाते हैं।

नसीबा के अध्यापकों का कहना है कि नसीबा पढ़ाई में बहुत होशियार है और खेलों के साथ-साथ कल्चरल एक्टीवीटिज में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है। नसीबा के माता-पिता का कहना है कि वे लोग बेहद गरीब लेकिन फिर भी अपनी बेटी की हर ख्वाहिश पूरी करते हैं। नसीबा के भविष्य पर चिंता जाहिर करते हुए उसके परिजनों ने कहा कि नसीबा अभी नौ साल की है लेकिन जैसे-जैसे उसकी उम्र बढे़गी उसके जीवन की कठिनाइयां भी बढेंगी। वहीं नसीब का कहना है कि वे बड़ी होकर टीचर बनना चाहती है।

दूसरी ओर सोनीपत के गोपालपुर गांव की रहने वाली 43 वर्षीय मीना देवी जन्म से ही विकलांगता की शिकार हो गई थी। अब उनके एक बेटी है। मीना ने अपने बुलंद हौसले से अपनी इस कमजोरी को मात दी है। मीना के दोनों हाथ नहीं लेकिन वह अपने पांवों से घर का सारा काम करती है।

साफ-सफाई से लेकर बर्तन तक मीना आराम से कर लेती है और अपनी बच्ची के अच्छे भविष्य के लिए मीना सिलाई का काम करती है। मीना ने कहा कि उसे अपनी विकलांगता पर कोई अफसोस नहीं है क्योंकि अगर इंसान में सच्ची लगन हो तो वह कोई भी काम कर सकता है।

वहीं नसीबा और मीना के परिवार वालों ने अपील की है कि सामाजिक संगठनों को इनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए। वहीं सरकार से कहा कि ऐसे व्यक्ति को लिए सरकार को ऐसी योजनाएं बनानी चाहिए कि इनके लिए रोजगार के रास्ते खुल जाएं और ये लोग अपना जीवन यापन आराम से कर सकें।

 
 
 
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