कटघरे में केजरीवाल, आप की परेशानियां बढीं

Friday, Mar 06, 2015 - 03:33 PM (IST)

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के ब्यौरे को सार्वजनिक नहीं करने के पार्टी नेतृत्व के फरमान को धता बताते हुए वरिष्ठ नेता मयंक गांधी ने योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को राजनीतिक मामलों की समिति से हटाये जाने के तरीके पर सवाल उठाते हुए पार्टी के संयोजक तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कटघरे में खड़ा कर दिया जिससे एक बार फिर पार्टी में असंतोष गहरा गया है।  गांधी ने आज कार्यकर्ताओं के नाम लिखे अपने ब्लॉग में केजरीवाल की कार्यशैली पर भी सवाल खडे करते हुए कहा कि जिस तरीके से यादव और भूषण को राजनीतिक मामलों की समिति से हटाने के लिए सरेआम प्रस्ताव लाया गया उससे वह बहुत आहत हुए हैं क्योंकि ये दोनों नेता स्वेच्छा से हटने के तैयार थे। इस फैसले से दुनियाभर कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। 
 
उन्होंने कहा कि बैठक के बाद उन्हें बताया गया कि अगर उन्होंने इसकी कार्यवाही के बारे में अगर बाहर कुछ भी बताया तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि वह इस कार्रवाई का सामना करने को तैयार हैं क्योंकि वह सच्चाई सबके सामने लाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की कार्यवाही का सारांश सबके सामने रख रहे हैं और चाहते हैं कि पार्टी इसका पूरा ब्यौरा सार्वजनिक करे। उन्होंने कहा कि हालांकि वह पार्टी के अनुशासित सिपाही हैं लेकिन वह आलाकमान के इस फरमान का उल्लंघन कर रहे हैं कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जो कुछ हुआ है उसे सार्वजनिक न किया जाए।
 
 गांधी ने कहा, यह न तो कोई विद्रोह है और न ही सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने का हथकंडा। मैं मीडिया में नहीं जा रहा हूं। मैं जानता हूं कि इसके प्रत्यक्ष या परोक्ष कुछ परिणाम जरूर होंगे। मैं इसके लिए तैयार हूं।’’  केजरीवाल की नीयत पर सवाल उठाते हुए उन्होंने एक पुरानी घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि 2011 में लोकपाल के मसौदे पर विचार करने के लिए हुई बैठक से बाहर आते हुए तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने केजरीवाल से कहा कि वह इस बैठक की कार्यवाही के बारे में बाहर जाकर किसी को कुछ न बताएं। तब केजरीवाल ने जवाब दिया कि यह उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वह इस बैठक के बारे में सारे देश को जानकारी दें। उन्होंने साथ ही कहा कि वह जनता के प्रतिनिधि हैं और सच्चाई और पारदर्शिता ही उनकी पूंजी है। 

 

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