कार्पोरेट जासूसी: टूटे दरवाजे को देख हरकत में आए जांच अधिकारी

Sunday, Feb 22, 2015 - 06:12 PM (IST)

नई दिल्ली: पेट्रोलियम मंत्रालय से गोपनीय दस्तावेज गायब होने की घटना को ‘कंपनी जासूसी’ का बड़ा मामला माना जा रहा है जिसमें बड़े औद्योगिक घराने के नाम जुड़ गए हैं। लेकिन इसमें शामिल लोगों द्वारा जिस तरीके से दस्तावेज चुराने के काम को अंजाम दिया गया वह अनाडिय़ों जैसा था और इससे ही लम्बे समय से चल रहे उनके गोरखधंधे का पर्दाफाश हुआ। करीब आठ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के तुरंत बाद एक दिन सुबह मंत्रालय का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज एक फोटोकापी मशीन पर पड़ा पाया गया।

उसके पश्चात एक निदेशक के कमरे के दरवाजे को संदिग्ध अवस्था में देखे जाने के बाद संदेह और गहरा गया। इन घटनाओं पर उठे संदेह के बाद गोपनीय दस्तावेज मंत्रालय के बाहर ले जाने वालों को धर दबोचने के लिये जांच शुरू की गयी। संदिग्ध कारपोरेट जासूसी के मामले में अब तक की इस सबसे बड़ी कार्रवाई में अबतक दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। यह राष्ट्रीय राजधानी में गोपनीय दस्तावेजों को सही तरीके से नहीं रखने का मामला है जहां अक्सर सरकारी दस्तावेज उस शास्त्री भवन के छोटे कमरों और तंग गलियारों से कारपोरेट और उनके लाबिस्ट के हाथ लग जाते हैं जहां कई प्रमुख मंत्रालय हैं।

 जिस तरीके से दस्तावेज चुराने के काम को अंजाम दिया गया, वह अचंभित करने वाला है। इसके लिये देर रात नकली चाबी और पहचान पत्र की मदद से कमरे में लोग प्रवेश करते। मामले में एक मुख्य आरोपी शांतनू सैकिया का तो यहां तक दावा है कि यह 10,000 करोड़ रुपये का घोटाला है और वह केवल इसको ‘कवर अप’ करने का काम कर रहे थे।’’ पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने एक न्यूज एजैंसी से कहा, ‘‘हमे कुछ असहज लग रहा था फिर सक्षम अधिकारियों को सूचित किया गया।’’ हालांकि उन्होंने उन विशिष्ट घटनाओं के बारे में बताने से मना कर दिया जिससे जांच शुरू की गयी।

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