कोयले की खानें उगल रही हैं सोना!
punjabkesari.in Friday, Feb 20, 2015 - 11:49 AM (IST)

नई दिल्ली: सियासी भूचाल लाने वाली कोयले की खानें सोना उगल रही हैं। सरकार की ओर से जारी नीलामी प्रक्रिया के पांचवें दिन गुरूवार तक ही 12 खानों की नीलामी से सरकारी खजाने में 80 हजार करोड़ रूपए आ चुके हैं। जबकि अभी शेष 7 खानों की नीलामी पूरी नहीं हुई है।
सरकारी कंपनी कोल इंडिया की ओर से निर्घारित दामों से रिकॉर्ड बोलियो का दौर जारी रहने से संभावना जताई जा रही है कि सभी 204 खानों की नीलामी का आंकड़ा 7 लाख करोड़ रूपए तक जा सकता है। पूर्व कैग (नियंत्रक और महालेखापरीक्षक) विनोद राय ने यूपीए सरकार द्वारा कोल ब्लॉक आवंटन में नीलामी प्रक्रिया का पालन नहीं कर 1,86,000 करोड़ रूपए के घाटे का आकलन किया था।
नीलामी की वर्तमान प्रवृत्ति को देखते हुए लगता है कि ये आंकड़ा भी काफी पीछे छूट जाएगा। वहीं, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास कोयला मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार होने के दौरान नीलामी पहले आओ पहले पाओ के आधार पर आवंटित हुई थी। तब मनमोहन सिंह ने अगस्त, 2012 में संसद में कहा था कि राय का आकलन गलत तथ्यों पर आधारित है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सितंबर, 2014 में 204 कोयला ब्लॉक का आवंटन रद्द करने के बाद सरकार की ओर से ये नीलामी की जा रही है। पहले चरण में 19 कोयला ब्लॉकों की पेशकश की गई है। पहले चरण की नीलामी 22 फरवरी को समाप्त होगी।
इसके बाद दूसरे चरण के 4& कोयला ब्लॉक आवंटन के नीलामी की प्रक्रिया 25 फरवरी से 5 मार्च तक चलेगी। रिवर्स बीडिंग को अपनाया गया है। इसमें सबसे कम बोली लगाने वाले को खदान का आवंटन होता है। कोयले के दामों को नियंत्रण में रखने के लिए ये प्रक्रिया अपनाई गई है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र और झारखंड में खानें हैं।