आज जुबां पर आएगी दिल की बात

Sunday, Feb 08, 2015 - 07:17 AM (IST)

सिरसा (पोपली): ‘फूल तुम्हें भेजा है खत में, ये फूल नहीं मेरा दिल है। प्रियतम मेरे मुझको लिखना, क्या ये तेरे काबिल है।’ प्रेम पुजारियों के लिए लव वीक का पहला दिन सौगात लेकर आया। रोज डे पर प्रेम पुजारियों ने एक-दूसरे को गुलाब का फूल देकर अपने लव का इजहार किया। इस हाइटैक जमाने में फूल देने का तरीका हाइटैक था क्योंकि खत लिखने और खत में फूल भेजने की परिपाटी तो अब नहीं रही। जमाने के डर से अपने प्रियतम से मिलकर हाथ में गुलाब देने वाला तो कोई बिरला ही दिखा। अधिकतर प्रेम दीवानों ने एक दूसरे को मैसेज में फूल भेजकर अपनी भावनाओं का इजहार किया। जिनको हां का जवाब मिल गया, उनकी बांछे खिल गई पर जिनके फूल रिजैक्ट हो गए वे थोड़े मायूस होकर बैठ गए।

रोज डे पर सिर्फ प्रेम-पुजारियों ने ही एक-दूसरे को ही फूल नहीं दिए बल्कि दोस्ती के रिश्ते का आगाज करने वाले दोस्तों ने भी फूल भेजने की परम्परा निभाई। रुठे दोस्तों ने भी एक-दूसरों को फूल देकर मनाया। दम्पतियों ने भी एक-दूसरे को रोज डे विश किया। अपने माता-पिता को अपना वैलेंटाइन मानने वाले युवाओं ने उन्हें गुलाब का फूल देकर आशीर्वाद लिया। प्रभु के आशिकों ने अपने भगवान के चरणों में गुलाब रखा। गुलाब के फूल की अच्छी खासी डिमांड होने की वजह से फूल बेचने वालों की भी चांदी रही।

अमूनन 20 रुपए में बिकने वाला फूल 50 रुपए से ज्यादा कीमत तक बिका। वीक का पहला दिन रोज डे बीत गया। अब बारी आई प्रपोज डे की। हालांकि इंडियन कल्चर इन चीजों को मान्यता नहीं देता लेकिन अब फिजा बदली है। प्यार-मोहब्बत के प्रति लोगों की मानसिकता में बदलाव आया है।

इजहार का दिन है आज

आज प्रपोज डे है जिसका इंतजार प्रेम पुजारी बड़ी बेसब्री से करते हैं। कहा जाता है कि प्रपोज डे पर किए प्रपोज के रिजैक्ट होने की संभावना न के बराबर होती है। प्यार-दोस्ती के रिश्ते को आगे बढ़ाने के लिए प्रपोज डे अगला कदम है। मोहब्बत के कदरदान मानते हैं कि पहली नजर का प्यार है जो बस एक बार देखते ही हो जाता है। कहते हैं कि यदि किसी से प्यार हो जाए तो इजहार में देर नहीं करनी चाहिए। इजहार में देरी हो गई तो उसका क्या फायदा।

वक्त के साथ बदले प्यार के मायने

प्यार तो ईश्वर का प्रसाद है। शर्त यह है कि इसमें गलत कुछ भी न हो। अगर इंसान अपना प्यार ईमानदारी से निभाए। स्वार्थ साधने के लिए किसी को अपनाना सच्चे प्यार की परिभाषा नहीं। अफसोस तो आखिर इस बात है कि आजकल नहीं मिल पाता सच्चा प्यार। प्यार के मायने बदल गए हैं। बस टाइम पास करने के लिए प्यार का ढोंग रचा जाता है। प्यार में एक साथ मरने-जीने की कसम खाने वाले पलभर में ही एक-दूसरे नाता तोड़ लेते हैं।

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