एक सलाम अंतरिक्ष की परी कल्पना चावला को

Monday, Feb 02, 2015 - 10:53 AM (IST)

जालंधर: कल्पना चावला एक ऐसा नाम है, जिसे सुन कर देश के हर शख्स का सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है। कल्पना चावला ने न केवल यह साबित कर दिया कि महिलाएं भी किसी से कम नहीं हो सकती है वहीं उन्होंने अंतरिक्ष में उड़ान भरकर भारत का नाम गौरवान्वित किया। कल्पना भारतीय अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थीं।

वे कोलंबिया अंतरिक्ष यान आपदा में मारे गए सात यात्री दल सदस्यों में थीं। 1 जुलाई 1961 को हरियाणा के करनाल में जन्म लेने वाली कल्पना चावला के पिता बनारसी लाल चावला आरै माता संजयोती थे। वह अपने परिवार के चार भाई बहनों मे सबसे छोटी थी। बचपन से ही कल्पना इंजीनियर बनना चाहती थी और उनकी इच्छा अंतरिक्ष में घूमने की भी थी।

उन्होंने टेक्सास विश्वविद्यालय आर्लिंगटन से वैज्ञानिक अभियांत्रिकी में विज्ञान निष्णात की उपाधि प्राप्त की और एरोस्पेस इंजीनियरिंग में एम. ए. किया। 1988 से ही कल्पना चावला ने नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में काम करना शुरू किया। 1995 में उनका चयन बतौर अंतरिक्ष-यात्री किया गया।

कल्पना अंतरिक्ष में उड़ने वाली प्रथम भारत में जन्मी महिला थी जबकि भारतीय मूल की दूसरी व्यक्ति। उनके पहले राकेश शर्मा ने सोवियत अंतरिक्ष यान में उड़ान भरी थी। कल्पना ने विमानन लेखक जीन पियरे हैरीसन से शादी की थी।

पहली अंतरिक्ष यात्रा
कल्पना चावला की पहली अंतरिक्ष यात्रा एस. टी. एस.-87 कोलंबिया स्पेस शटल से संपन्न हुई। यह यात्रा इसकी अवधि 19 नवंबर 1997 से लेकर 5 दिसंबर, 1997 तक रही। कल्पना चावला की दूसरी और अंतिम उड़ान 16 जनवरी, 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल से ही आरंभ हुई। यह 16 दिन का मिशन था।

इस मिशन पर उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर लगभग 80 परीक्षण और प्रयोग किए। वापसी के समय 1 फरवरी 2003, को शटल दुर्घटना ग्रस्त हो गई तथा कल्पना समेत 6 अंतरिक्ष यात्रियों की मृत्यु हो गई। कल्पना चावला को अगर अंतरिक्ष की परी कहा जाए तो गलत न होगा। हरियाणा को ही नहीं पूरे देश की इस बेटी पर गर्व है।
 

Advertising