जशोदा बेन की खबर देना, दूरदर्शन को पड़ा मंहगा

Sunday, Feb 01, 2015 - 03:14 AM (IST)

अहमदाबाद : इस देश में प्रैस आजाद है, शर्त बस यह है कि आप दूरदर्शन में काम न करते हों और हां, खबर जशोदा बेन के बारे में न हो। अगर ये दोनों संयोग मिल जाएं तो फिर कोई गारंटी नहीं है। आप को काला पानी (अंडेमान)भेज दिया जाए तो भी कोई बड़ी बात नहीं। अहमदाबाद में तैनात दूरदर्शन अधिकारियों ने यही बात समझने में थोड़ी देर कर दी। जशोदा बेन की खबर दिखाने का नतीजा एक डी.डी. अधिकारी के तत्काल तबादले के रूप में सामने आ गया। बाकी अधिकारी भी सफाई देने में जुटे हैं।

मामला यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी जशोदा बेन ने आर.टी.आई. के जरिए यह जानना चाहा था कि उन्हें प्रशासन की ओर से जो सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है वह किस हैसियत से दी जा रही है? क्या प्रधानमंत्री की पत्नी होने के नाते वह इस सुरक्षा की हकदार हैं या किसी अन्य रूप में? अगर पी.एम. की पत्नी होने की वजह से उन्हें सुरक्षा दी जा रही है तो फिर वह ऐसी और किन-किन सुविधाओं की हकदार हैं? प्रशासन ने जब इनका जवाब देने से 25 नवम्बर 2014 को इंकार कर दिया तो जशोदा बेन ने इसके खिलाफ अपील दायर की। यह खबर देश के लगभग सभी अखबारों और टी.वी. चैनलों में दिखाई गई। गलती से दूरदर्शन, अहमदाबाद केंद्र के भी कुछ अधिकारी इसे खबर मानने की ‘गुस्ताखी’ कर बैठे।
 
दूरदर्शन अधिकारियों की इस ‘हिमाकत’ पर चकित सूचना और प्रसारण मंत्रालय के ऑफिसरों ने तत्काल इसे संज्ञान में लिया। इस बुलेटिन के लिए जिम्मेदार असिस्टैंट डायरैक्टर वी.एम. वनोल का तबादला पोर्ट ब्लेयर (अंडेमान द्वीप) कर दिया गया।
 
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