...नहीं तो बुरहानपुर में होता ताजमहल

Sunday, Jan 25, 2015 - 01:39 PM (IST)

बुरहानपुर: देश-दुनिया में ताजमहल की बात हो तो उत्तरप्रदेश के आगरा का नाम सबकी जबान पर आता है, पर कम ही लोगों को पता होगा कि मल्लिका मुमताज महल की वास्तविक कब्र मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में होने के कारण ताजमहल बनाने के लिए पहले इस जगह को चुना गया था। लेकिन यहां की भौगोलिक परिस्थितियां अनुकूल नहीं होने के कारण ऐसा नहीं हो सका।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, मध्यप्रदेश वृत्त के पूर्व सहायक अधीक्षण अभियंता पंकज शरण ने बताया कि हिंदुस्तान की मल्लिका बेगम मुमताज महल की वास्तविक कब्र बुरहानपुर के समीप आहुखाना में होने के बाद भी यहां ताजमहल नहीं बन सका क्योंकि ताप्ती नदी के किनारे की यहां की मिट्टी और भूतल का आधार ताजमहल के निर्माण के लिये अनुकूल नहीं था।

इसके चलते मुगल बादशाह शाहजहां को बुरहानपुर में ताप्ती के किनारे ताजमहल बनाने के विचार को त्यागना पड़ा। इतिहासकार नंद किशोर देवड़ा ने बताया कि भौगोलिक परिस्थितियां अनुकूल नहीं होने से बुरहानपुर में ताजमहल नहीं बन पाया। बुरहानपुर से दिल्ली की अधिक दूरी ने भी ताजमहल को बुरहानपुर से दूर कर दिया।

देवड़ा का कहना है कि ताप्ती नदी में बाढ़ के खतरे के चलते नदी किनारे आहुखाना पर ताजमहल आकार नहीं ले पाया। उन्होंने बताया कि 17 जून 1631 की रात 14 वीं संतान को जन्म देते समय बेगम मुमताज महल ने बुरहानपुर में ताप्ती नदी किनारे स्थित शाही किले में अंतिम सांस ली थी।

उनके शव को नदी के दूसरे किनारे पर स्थित मुगलों के शिकारगाह आहुखाना में दफनाया गया था। शव को 6 माह वहां रखा गया। इसके बाद शहजादा शुजा, मुन्नी बेगम और शाही हकीम वजीर खां शव को आगरा ले गए थे। शव को बुरहानपुर से आगरा ले जाने में उस समय करीब एक करोड़ रूपये के आसपास खर्च आया था।

 

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