बुराइयों पर प्रहार करने से नहीं चूकती आंचल

Wednesday, Jan 21, 2015 - 06:44 AM (IST)

गुडग़ांव (अशोक): गुडग़ांव में पहली बार किसी महिला जादूगर का शो चल रहा है। ग्रामीण परिवेश में पली व बड़ी हुई राजस्थान मूल की 21 वर्षीया जादूगर आंचल का गुडग़ांव के गौशाला मैदान में प्रदर्शन चल रहा है। अपने प्रदर्शन द्वारा आंचल समाज में व्याप्त बुराइयों पर भी प्रहार करने से नहीं चूकती। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान से बड़ी प्रभावित दिखाई देती हैं और अपनी कला के माध्यम से जागरूकता भी पैदा करती दिखाई दे रही हैं। कला के माध्यम से ही देश की एकता का भी संदेश यह युवती जादूगर दे रही है।

अपने पिता गिरधारी कुमावत को आंचल अपना गुरु मानती हैं। परिवार के अन्य सदस्य भी उसे पूरा सहयोग दे रहे हैं। आंचल अपने पिता को गुरु मानती हैं। आज उसकी टीम में 45 सदस्य हैं। मैजिक फाऊंडेशन का गठन कर वह इस संस्था की निर्माता-निर्देशक भी हैं। पंजाब केसरी से एक भेंट में जादूगर आंचल ने बताया कि उसने 5 साल की आयु से ही जादूगरी में अपने करिश्मे दिखाने शुरू कर दिए थे।

कई रिकॉर्ड कराए दर्ज :आंचल ने बताया कि उसने हरिद्वार में एक शो के दौरान योग गुरु बाबा रामदेव की उपस्थिति में खुद को 100 फीट लंबी चेन में बंधवाकर और उसमें 100 ताले लगवाकर खुद को एक बक्से में बंद करा दिया था और उस बक्से को आग की लपटों में फैंक दिया गया था वह महज 5 सैंकेड में ही बक्से से बाहर आ गई थी। हालांकि इस शो में उसके हाथ झुलस भी गए थे। उनके इस प्रदर्शन को बाबा रामदेव ने सराहते हुए कहा था कि भविष्य में इस प्रकार का कोई खेल मत खेलना। इस शो के कारण ही उनका नाम लिम्का बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड्स में दर्ज कर लिया गया था।

कई उपलब्धियां की हासिल :11 वर्ष की आयु में आंचल को केंद्र सरकार ने नैशनल चाइल्ड अवार्ड से सम्मानित किया। आंख पर पट्टी बांधकर सैंकड़ों शहरों में गाड़ी भी चलाई। ईटीवी तेलगू, कलर्स के इंडियाज गॉट टैलेंटेड सैशन-3, ईटीवी कन्नड़, स्टार वन इडियाज मैजिक स्टार आदि छोटे पर्दे पर भी अपनी कला की छाप छोड़ चुकी हैं। मंगोलिया में आयोजित सैमिनार में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया और अपनी कला का प्रदर्शन कर विश्व का ध्यान अपनी ओर खींचा।

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