बेटी हो तो ऐसी...

punjabkesari.in Monday, Jan 19, 2015 - 04:58 AM (IST)

नई दिल्ली : ‘वो एक दीया बाती है, जिससे जिंदगी जगमगाती है। मेरी रूह चैन पाती है, जब बेटी गले लगाती है।’ ये पंक्तियां मैत्री शर्मा पर बखूबी चरितार्थ होती हैं जिन्होंने अपना लिवर पिता को देकर उन्हें नई जिंदगी दी है। बेटी का यह जज्बा काबिले तारीफ तो है ही, बेटियों को बोझ समझने वालों के लिए प्रेरणा भी है। 

दिल्ली के मॉडल टाऊन निवासी सतीश शर्मा को डॉक्टरों ने पिछले वर्ष लिवर खराब होने की बात बताई। साथ ही डॉक्टरों ने लिवर प्रत्यारोपण करने के लिए महज 3 महीने का वक्तदिया। पिता की खराब होती स्थिति बेटी से देखी न गई और वह अपना लिवर देने को तैयार हो गई। हालांकि इस फैसले से मैत्री की मां सहमत नहीं थी, लेकिन बेटी की जिद के आगे किसी की न चली। 26 मई को अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. सुभाष गुप्ता ने बेटी के लिवर के कुछ हिस्से को निकालकर सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण कर पिता को नई जिंदगी दी। 

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News