सर्जिकल स्ट्राइक में सेना ने आजमाया था यह फॉर्मूला, साथ ले गए थे तेंदुए का मल-मूत्र

Friday, Sep 28, 2018 - 02:10 PM (IST)

जम्मू: जम्मू-कश्मीर में आज सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी वर्षगांठ मनाई जा रही है। वर्ष 2016 में पीओके में जाकर सेना के जांबाज जवानों ने जब आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त किया था तो उसकी गूंज ने हर किसी को हिला दिया था। काफी समय तक इसके चर्चे हुए और विपक्ष ने इस बात को लेकर मोदी सरकार को घेरा भी। इस मामले को लेकर काफी सवाल उठाए गए और इसके सबूत भी मांगे गए। सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर नगरोटा कॉर्प्स के पूर्व कमांडर ले. जनरल राजेन्द्र निंबोरकर ने एक मजेदार किस्सा भी सुनाया था। उन्होंने उस फॉर्मूले के बारे में बताया था, जिसका इस्तेमाल सर्जिकल स्ट्राइक को कामयाब बनाने के लिए किया गया था।
पुणे के थोर्ले बाजीराव पेशवा प्रतिष्ठान के कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि तब रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने हमसे ऑपरेशन को लेकर एक हफ्ते तक इस पर गहन अभ्यास करने को कहा, ताकि कोई चूक न हो। पूर्व नगरोटा कॉर्प्स कमांडर ने बताया कि जब हमने इस पर स्टडी की तो देखा कि पाकिस्तान की सीमा में 15 किलोमीटर अंदर जाने के बाद कुत्तों का डर होगा, जो हमला भी कर सकते हैं। ऐसे में, कुत्तों को शांत करने के लिए जवान अपने साथ तेंदुए का मल-मूत्र ले गए। उन्होंने बताया कि तेंदुए अक्सर कुत्तों पर हमला कर देते हैं, जिस कारण उनके होने के आभास से ही कुत्ते कोसों दूर रहते हैं। तेंदुए के डर से रात को कुत्ते बस्तियों में चले जाते हैं। जब हमें सीमा पार करनी थी तो रास्ते में गांव आने थे और हमारी आहट से कुत्ते सतर्क होकर भौंकना शुरू कर सकते थे। उनसे निपटने के लिए सेना की टुकड़ियां तेंदुए का मल-मूत्र लेकर गईं और उसे गांव के बाहर डालती गईं। हमारा यह प्लान भी काम कर गया और कुत्ते गांव की सीमा तक नहीं आए।


मजेदार बात यह है कि जिन जवानों ने इस ऑपरेशन को कामयाब बनाया, उन्हें भी एक दिन पहले बताया गया था कि स्ट्राइक कहां पर करनी है। यह ऑपरेशन सुबह साढ़े तीन बजे अंजाम दिया गया। उन्होंने बताया था कि पाकिस्तान को यह तो पता था कि भारत कुछ करेगा, पर ऐसा करेगा, इसकी उन्हें भनक तक नहीं लगी थी।

Monika Jamwal

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