गुमराह युवाओं को वापस लाने की कोशिश है सेना का ऑपरेशन ऑल इन

Wednesday, Jun 06, 2018 - 06:44 PM (IST)

श्रीनगर : कश्मीर में चल रहे संघर्षविराम के दौरान भी आतंकी सुरक्षा बलों को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, सेना की कोशिश है कि पत्थरबाजी और बंदूक उठा रहे युवाओं को देश की मुख्यधारा से जोड़ा जाए। सेना की खुफिया जानकारी के मुताबिक संघर्षविराम के दौरान सीमा पार से कई युवा आतंकी बिना हथियार के अपने परिजनों से मिलने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में सेना स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर कोशिश कर रही है कि ऐसे युवा संघर्षविराम के दौरान अपने हथियार छोडक़र मुख्यधारा में शामिल हों।

जानकारी के मुताबिक, ऐसे युवाओं के परिवारए सरपंच और दूसरे लोगों की मदद से उन्हें समझाने की कोशिश हो रही है, युवाओं को समझाया जा रहा है कि वह अब वापस पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में न जाएं। उच्च रक्षा सूत्रों के मुताबिक सेना संघर्षविराम के दौरान आतंकियों की हिंसा भडक़ाने की कोशिशों के बीच संघर्ष विराम को लागू करने की पूरी कोशिश कर रही है।

आतंकी कर रहे सेना पर हमले की कोशिश
 सेना के पास इस बात की पुख्ता जानकारी है कि जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी खासतौर से संघर्षविराम के दौरान हर हाल में सुरक्षाबलों के कैंपों और सेना को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से छोट-छोटे ग्रुप में आतंकी घुसपैठ कर कश्मीर घाटी में सेना और सुरक्षा बलों को निशाना बनाने की फिराक में हैं।

सेना दे रही युवाओं को आर्मी भर्ती की ट्रेनिंग
वहीं, बारामुला जिले के पट्टन इलाके में भी सेना पत्थरबाजी और हथियार उठाने की तरफ  आगे बढ़ रहे युवाओं को जम्मू कश्मीर लाइट इन्फेंट्री और अर्धसैनिक बलों में भर्ती करने के लिए खास ट्रेनिंग दे रही है। उन्हें लिखित, शारीरिक और परीक्षा की तैयारी कराई जा रही है। सेना की इस ट्रेनिंग को लेकर स्थनीय युवाओं में काफी जोश है। इनका कहना है कि अगर इन्हें मौके और ट्रेनिंग मिलेगी तो ये पत्थरबाजी की तरफ  नहीं जाएंगे।
कश्मीर घाटी में सेना की सबसे महत्वपूर्ण 15 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिल भट्ट ने आह्वान किया है कि जो स्थानीय आतंकी हथियार डालकर मुख्य धारा में आएगा उसको हम पूरा मौका देंगे। 


आतंकी हमले का दिया जाएगा जवाब
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी साफ  किया था कि सेना कश्मीर घाटी में संघर्ष विराम का पूरा सम्मान कर रही है, लेकिन आतंकी सेना को निशाना बनाते हैं तो उसका भी मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। इस तरह खुद पाकिस्तानी सेना की तरफ से डीजीएमओ की बातचीत के बाद साल 2003 में लागू हुए संघर्ष विराम को फिर से पूरी तरह से लागू करने की मांग रखी गई है। ऐसे में सरकार के उच्च सूत्र इस बात का संकेत दे रहे हैं कि भारत सरकार पाकिस्तानी सेना को एक मौका देना चाहती है। हालांकि लाइन ऑफ कंट्रोल और कश्मीर घाटी के अंदर सेना की तैयारियों में कहीं कोई ढील नहीं है।

Punjab Kesari

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