सेना ने की विदेशी लड़ाकू विमान की मांग, ''तेजस'' और ''अर्जुन'' के नए वर्जन से इंकार

Monday, Nov 13, 2017 - 11:12 AM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना ने वॉर एयरक्राफ्ट तेजस और अर्जुन टैंक के एडवांस वर्जन और सिंगल इंजन मॉडल के निर्माण को ठुकरा दिया है। भारतीय सेना ने विदेशी बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों की मांग रखी है। सेना ने विदेशी लड़ाकू वाहनों को मेक इन इंडिया प्रोसेस के तहत सशस्त्र बल में शामिल करने का सुझाव रखा है।पिछले हफ्ते ही सेना ने 1,770 टैंकों के लिए प्रारंभिक टेंडर या रिक्वेस्ट फॉर इन्फर्मेशन जारी की थी। इन्हें फ्यूचर रेडी कॉम्बैट वीइकल्स भी कहा जाता है। इसके जरिए सेना युद्ध के मैदान में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है। वायुसेना जल्दी से जल्दी 114 ने सिंगल इंजन फाइटर प्लेन चाहती है।

रक्षा मंत्रालय के सामने बजट की समस्या
रक्षा मंत्रालय के लिए सेना की मांग पूरी करना आसान नहीं होगा क्योंकि रक्षा क्षेत्र का सालाना बजट नए प्रोजेक्ट्स के लिए पर्याप्त नहीं है। ज्यादातर पैसा पहले हो चुकी डील की किश्त के रूप में चुका दिया गया है। ऐसा में सेना की नई मांगों को अगर पूरा करना पड़ा तो सिर्फ एयरफोर्स के लिए 1.15 लाख करोड़ रुपए की जरूरत होगी।

'स्वदेशी' में ये हैं कमियां?
तेजस

-तेजस एयरक्राफ्ट का प्रोजेक्ट 1983 में सेंक्शन किया गया था। वायु सेना के मुताबिक यह लड़ाई के लिए तैयार नहीं है।
-इसका फाइनल क्लीयरेंस भी जून 2018 तक मिलेगा।
-तेजस की रेंज और हथियारों को ले जाने की क्षमता भी काफी कम है।
-साल 2015 में कैग ने तेजस के वायुसेना में शामिल किए जाने की आलोचना की थी।
-सीएजी के मुताबिक एलसीए मार्क-1 में इलेक्ट्रॉनिक लड़ाई लड़ने की क्षमता नहीं है क्योंकि जगह की कमी के कारण तेजस में सेल्फ डिफेंस वाला जैमर नहीं लगाया जा सका है।

अर्जुन
-इस टैंक का प्रोजेक्ट 1974 में सेंक्शन किया गया था।
-यह काफी भरी टैंक है जिस वजह से पुल और रेत वाले एरिया को पार करने में इसे दिक्कत आती है।
-इससे सीधा वार करना मुश्किल है।

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