बदरुद्दीन अजमल पर आर्मी चीफ का बड़ा बयान

Thursday, Feb 22, 2018 - 05:39 PM (IST)

नई दिल्ली: ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) प्रमुख बदरुद्दीन के बढ़ते कद और असम में बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर सेना प्रमुख बिपिन रावत ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जितनी तेजी से देश में बीजेपी का विस्तार नहीं हुआ, जितना तेज असम में बदरुद्दीन की पार्टी की लोकप्रियता का बढ़ना चिंता का विषय है। उनके इस बयान से राजनीति में हंगामा खड़ा हो गया है।

बदरुद्दीन की असम में बढ़ती लोकप्रियता के पीछे उनकी अपनी सियासी सूझबूझ और असम की जनता के लिए किया गया योगदान है। दरअसल, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की स्थापना वर्ष 2005 में हुई थी। उसी वर्ष सर्वोच्च न्यायालय ने विवादास्पद अप्रवासी कानून को रद्द कर दिया था। अप्रवासी कानून ट्रब्यूनल द्वारा निर्धारित किया गया कानून था।

कांग्रेस सरकार ने बनाया था कानून
असम के मौजूदा सीएम सर्बानंद सोनोवाल ने अपने छात्र जीवन की राजनीति में अवैध अप्रवासियों के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी थी। जिसके बाद अदालत ने फैसला देते हुए आइएमडीटी कानून ने अवैध आप्रवासियों की पहचान की जिम्मेदारी न्यायाधिकरणों पर डाल दी थी और शिकायत करने वालों को संदिग्ध नागरिकों की नागरिकता साबित करने का जिम्मा सौंप दिया। वहीं अप्रवासी मुसलमान मानते है कि केंद्र की कांग्रेस सरकार द्वारा बनाया गया यह कानून उन्हें बचाने वाला कानून था।

वहीं बराक घाटी की यात्रा पर गए तत्कालीन मुख्यमंत्री तरूण गोगोई ने वे अप्रवासी हिंदुओं की रक्षा करेंगे। इससे बहरुद्दीन को मुसलमानों के हित में लड़़ाई लड़ने का मौका मिल गया। जिसके बाद उनकी पार्टी ने वर्ष 2006 में असम में चुनाव लड़ा और 10 सीटों पर जीत हासिल की। लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता गया बदरुद्दीन की लोकप्रियता बढ़ती गई। 2011 के विधान सभा चुनाव में एआईयूडीएफ को 18 सीटें मिलीं।

ग्रामीण इलाकों में है अच्छी पकड़
अपने बढ़ते प्रभाव के कारण अजमल की पार्टी असम में मुख्य विपक्षी दल का काम किया और 2014 में हुए आम चुनाव ने पार्टी ने तीन सीटें जीतीं, जबकि 24 सीटों पर बढ़त हासिल की थी। अजमल के विरोधी भी यह मानने से इंकार नहीं करते कि एआईयूडीएफ की ग्रामीण इलाकों में अच्छी पकड़ है। जमीअत उलेमा-ए-हिंद, मरकजुल मआरिफ और हाजी अब्दुल मजीद मेमोरियल पब्लिक ट्रस्ट जैसे कई संगठन पार्टी से जुड़े हुए हैं। बदरुद्दीन द्वारा राज्य में कई स्कूल, मदरसे, अस्पताल और अनाथालय भी संचालित हैं।

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