सेना प्रमुख के बयान पर विवाद, माकपा नेता ने कहा- मुझे उनकी सोच पर संदेह

Monday, May 29, 2017 - 05:31 PM (IST)

नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के कश्मीर में पत्थरबाजों से निबटने के लिए मानव ढ़ाल का इस्तेमाल करने को सही ठहराने और ऐसे हालात मे नए तरीके ईजाद करने संबंधी बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ‘माकपा’ के नेता मोहम्मद सलीम ने जनरल रावत के बयान को सेना में नैतिक मूल्यों का क्षरण बताया हैजबकि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने इसका समर्थन करते हुए कहा है कि आतंकवाद से निबटने के लिए सेना को खुली छूट मिलनी चाहिए। सलीम ने आज एक टीवी चैनल से कहा कि वह सेना प्रमुख के बयान से इत्तेफाक नहीं रखते। 

नए तरीके इजाद करने का क्या मसला है?
उन्होंने कहा कि यह उस भारतीय सेना की आवाज और सोच नहीं हो सकती जिसे वह बचपन से देखते आए हैं। एक भारतीय होने के नाते वह ऐसी बातों का कतई समर्थन नहीं कर सकते जो जनरल रावत ने कही है। माकपा नेता ने कहा कि जनरल रावत आतंकवाद से निबटने के लिए नए तरीके इजाद करने की जो बात कर रहे हैं तो ‘मैं उनसे यह कहना चाहूंगा कि भारतीय सेना में प्रतिभा और क्षमता की कोई कमी नहीं है फिर ये नए तरीके इजाद करने का क्या मसला है। मुझे जनरल रावत की इस बात से भारतीय समाज की क्षमता को समझने की उनकी सोच पर संदेह होता है।’  

तो क्या चुपचाप खड़े रहे सैनिक?
इस बीच केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू ने जनरल रावत के बयान का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि अगर कोई सैनिकों पर पत्थर मारे तो क्या उन्हें चुपचाप खड़ा रहना चाहिए। ऐसी स्थितियों से निबटने के बारे में सेना प्रमुख ने जो बयान दिया है वह उससे पूरी तरह सहमत हैं। कांग्रेस नेता पीएल पूनिया ने भी इस मसले पर सेना प्रमुख का समर्थन करते हुए कहा कि आतंकवाद से निबटने के लिए सेना को खुली छूट मिलनी चाहिए इसमें किसी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। जनरल रावत ने कल एक साक्षात्कार में कहा था कि जम्मू कश्मीर में जो ‘घृणित’ युद्ध चल रहा है उसके लिए सेना को नए तरीके इस्तेमाल करने होंगे। वह सैनिकों को पत्थरबाजों के हाथों मरने के लिए नहीं छोड़ सकते। पत्थरबाज यदि गोलियां चलाते तो उनका जवाब उसी तरीके से दिया जा सकता था।

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