6 साल में सेना ने खरीदा 960 करोड़ का खराब गोला-बारूद, आ सकती थीं 100 तोपें: रिपोर्ट

Tuesday, Sep 29, 2020 - 07:09 PM (IST)

नई दिल्लीः पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर जब भारतीय सेना संघर्ष की स्थिति में है तब सेना में आई एक इंटरनल रिपोर्ट ने रक्षा मंत्रालय की नींद उड़ा दी है। सेना की इस इंटरनल रिपोर्ट ने गोला-बारूद की खरीद को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। रक्षा मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले 6 साल में सरकारी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड से जितने रुपए में खराब गोला बारूद खरीदा गया है, उतने में सेना को करीब 100 तोपें मिल सकती थीं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2014 से 2020 के बीच जो खराब क्वालिटी की का गोला बारूद खरीदा गया है। उसकी कीमत करीब 960 करोड़ तक पहुंचती है। इतने दाम में 150MM की मीडियम आर्टिलरी गन सेना को मिल सकती थीं। बता दें कि ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) का संचालन रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत ही होता है और ये दुनिया की सबसे पुरानी सरकारी ऑर्डिनेंस प्रोडक्शन यूनिट में से एक है। इसी के तहत सेना के लिए गोलाबारूद बनाया जाता है, जिसकी सेना ने आलोचना की है। जिन प्रोडक्ट में खामी पाई गई है, उनमें 23-MM के एयर डिफेंस शेल, आर्टिलरी शेल, 125 MM का टैंक राउंड समेत अलग-अलग कैलिबर की बुलेट्स शामिल हैं।

सेना की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन खराब क्वालिटी के गोला बारूद से ना सिर्फ पैसों का नुकसान हुआ है, बल्कि कई घटनाओं में मानवीय क्षति भी हुई है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि खराब क्वालिटी के प्रोडक्शन के कारण जो घटनाएं और मानवीय क्षति होती है, वह औसतन एक हफ्ते में एक होती है। 

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2014 के बाद से खराब क्वालिटी के गोला बारूद के कारण 403 घटनाएं हुई हैं, हालांकि ये लगातार कम भी हुए हैं। लेकिन ये चिंताजनक है।  इन घटनाओं में करीब 27 जवानों की मौत हुई है जबकि 159 के करीब जवान घायल हुए हैं। इस साल अभी तक 13 घटनाएं हुई हैं हालांकि किसी की मौत नहीं हुई है। इन 960 करोड़ रुपये की खरीद में 658 करोड़ रुपये का खर्च 2014-2019 के बीच शेल्फ में हुआ, जबकि अन्य 303 करोड़ रुपये तक की कीमत के माइन्स को महाराष्ट्र में लगी आग के बाद खत्म किया गया।
 

Yaspal

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