खुलेआम बिक रही हैं लाल स्ट्रिप वाली दवाइयां

Wednesday, Oct 17, 2018 - 11:38 AM (IST)

नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स): शेड्यूल एच- 1 में 24 दवाइयों को शामिल किया गया है। बावजूद इसके नियम-कायदों को ताक पर रखते हुए इन दवाइयों की बिक्री बेरोकटोक जारी है। इन दवाईयों (एंटीबायोटिक्स) पर लाल लाइन उकेरे गए हैं ताकि यह पता चले कि बिना डॉक्टरी परामर्श और पर्चे के इस दवा का सेवन खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसी दवाईयों को डॉक्टर के पर्ची के बिना कमिस्ट मरीजों को नहीं बेच सकते हैं। डीजीएचएस डॉ. कीर्ति भूषण के मुताबिक एंटीबायोटिक्स के इस कदर इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। 

डॉक्टरी सलाह के बिना हो रहा है दवाओं का उपयोग
डॉक्टरी सलाह के बिना ही ऐसी दवाओं का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें 50 प्रतिशत एंटीबायोटिक्स शामिल है। खास बात यह है कि एंटीबायोटिक्स का उपयोग जरूरत के बगैर ही किया जा रहा है। लोग खांसी-जुकाम जैसी आम समस्याओं के लिए भी एंटीबायोटिक्स का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे लोगों की तादाद 90 प्रतिशत है जो बिना किसी जरूरत के ही एंटीबायोटिक्स का उपयोग कर लेते हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल के मुताबिक इस संबंध में सामने आए कई अध्ययनों के नतीजों से यह स्पष्ट हो जाता है कि आधे से अधिक मामलों में डॉक्टर बिना किसी जांच के ही मरीजों को एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह दे रहे हैं। आंकड़ों का हवाला देते हुए डॉ. अग्रवाल ने बताया कि प्रत्येक पांच में एक पर्ची (प्रिस्क्रिप्शन) पर बिना किसी जांच के एंटीबायोटिक्स की सलाह लिखी जाती है। 

खुद से न करें एंटिबायोटिक्स का इस्तेमाल
डॉ. अग्रवाल के मुताबिक कभी भी बिना डॉक्टरी सलाह के एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल जोखिम भरा साबित हो सकता है। इसके दुष्परिणाम कई बार खतरनाक और जानलेवा भी साबित हो सकते हैं। खांसी-जुकाम जैसी समस्याओं के लिए एंटीबायोटिक्स लेना गलत परामर्श है क्योंकि यह बीमारी वायरस की वजह से होती है। एंटीबायोटिक्स के जरिए केवल बैक्टीरिया जनित बीमारियों का ही उपचार संभव है। 

Anil dev

Advertising